नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। लोकसभा चुनाव की पूरे देश में हलचल मची है। जहां आज एक नेता दूसरे नेता का कत्ल तक करने को तैयार रहता है वहीं उत्तर प्रदेश में एक समय था जब मुलायम सिंह यादव ने इटावा से अपने प्रत्याशी रामसिंह शाक्य को हरवाकर बसपा के संस्थापक कांशीराम को जीताया।
जब अपने प्रत्याशी को हरने में जुटे मुलायम
पश्चिम उत्तर प्रदेश के इटावा को मुलायम सिंह यादव की भूमि कहा जाता है। उन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत अपने गृहस्थल से शुरु की। 1990 के दशक में लोकसभा चुनाव से केवल 3 दिन पहले जब मुलायम सिंह यादव की समाजवादी जनता पार्टी (राष्ट्रीय) का बसपा के साथ गठबंधन हुआ तब मुलायम यादव ने अपने प्रत्याशी के खिलाफ जाकर कांशीराम के लिए चुनाव प्रचार किया। इस चुनाव में कांशीराम ने 1 लाख 45 हजार मतो से जीत दर्ज की वहीं भाजपा दूसरे स्थान पर थी और सपा के प्रत्याशी रामसिंह शाक्य तीसरे नम्बर पर थे। यही समय था जब मुलायम सिंह यादव और कांशीराम के बीच मधुर संबंध शुरु हुए इस दौरान कांशीराम ने मुलायम सिंह यादव को अपनी पार्टी बनाने का सुझाव दिया। इसके बाद 1992 में मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी की स्थापना की और 1993 में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार बनाई।
इटावा लोकसभा सीट का अबतक का इतिहास
1952 - बाल कृष्ण शर्मा (कांग्रेस)
1957 - अर्जुन सिंह भदौरिया (निर्दलीय)
1962 - गोपीनाथ दीक्षित (कांग्रेस)
1967 - अर्जुन सिंह भदौरिया (सोशलिस्ट पार्टी)
1971 - श्रीशंकर तिवारी (कांग्रेस)
1977 - अर्जुन सिंह भदौरिया (भारतीय लोकदल)
1980 - राम सिंह शाक्य (जनता पार्टी एस)
1984 - चौ. रघुराज सिंह (कांग्रेस)
1989 - राम सिंह शाक्य (जनता दल)
1991 - कांशीराम (बसपा)
1996 - राम सिंह शाक्य (सपा)
1998 - सुखदा मिश्रा (भाजपा)
1999 - रघुराज सिंह शाक्य (सपा)
2004 - रघुराज सिंह शाक्य (सपा)
2009 - प्रेमदास कठेरिया (सपा)
2014 - अशोक दोहरे (भाजपा)
2019 - प्रो. रामशंकर कठेरिया (भाजपा)
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