Uttarakhand UCC Bill: विधानसभा में आज CM धामी ने UCC बिल किया पेश, जानें बिल पास होने पर कितना बदलेगा कानून?

Dehradun: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा में आज समान नागरिक संहिता बिल पेश किया। इस बीच विधानसभा में विपक्ष ने हंगामा किया। विधानसभा की कार्यवाई 2 बजे तक स्थगित कर दी है।
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नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। उत्तराखंड विधानसभा में आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज समान नागरिक संहिता बिल पेश किया। उत्तराखंड आजाद भारत का पहला राज्य होगा जहां यूनिफॉर्म सिविल कोर्ड यानि समान नागरिक संहिता लागू होगा। देश में केवल गोवा में पुर्तगाल के समय से समान नागरिक संहिता लागू है। विधानसभा में आज विपक्ष ने इस बीच हंगामा किया। विधानसभा स्पीकर ने कार्यवाई 2 बजे तक स्थगित कर दी है।

UCC का वादा हुआ पूर्ण

2022 में जब सीएम धामी की सरकार आई थी, तब वे इस वादे के साथ आए कि UCC कमिटी का गठन कर समान नागरिक संहिता उत्तराखंड में लागू करेंगे। इसके लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जज रंजना प्रकाश देसाई की अध्यकक्षता में UCC कमिटी का गठन करने की अनुमति दी। कमिटी ने अहम मुद्दों को ध्यान में रखते हुए समान नागरिक संहिता की ड्राफ्ट रिपोर्ट शनिवार को सीएम पुष्कर सिंह धामी को सौंपी।

'जय श्रीराम' और 'वंदे मातरम्' के नारों से गूंजा विधानसभा

विधानसभा में आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा समान नागरिक संहिता पेश करने के दौरान विधानसभा 'जय श्रीराम' और 'वंदे मातरम्' के नारों से गूंजा। समान नागरिक संहिता पर विधायकों का पूर्ण समर्थन प्राप्त होने के बाद जल्द ही समान नागरिक संहिता पर राज्यपाल द्वारा मुहर लगेगी।

क्या है UCC बिल?

समान नागरिक संहिता में राज्य में निवास कर रहे सभी धर्म और समुदाय के लोगों के लिए समान कानून की वकालत की गई है। इस समय हर धर्म और जाति का अलग कानून है, इसके हिसाब से ही शादी, तलाक जैसे व्यक्तिगत मामलों में निर्णय होते हैं। इसके लागू होने के बाद हर धर्म और जाति के नागरिकों के लिए विवाह पंजीकरण, तलाक, बच्चा गोद लेना और सम्पत्ति के बंटवारे जैसे मामलों में समान कानून लागू होगा।

UCC लागू होने से कैसे आएगा बदलाव?

1. समान कानून लागू होने से लड़की की शादी की उम्र 21 साल होगी।

2. बहुविवाह पर रोक लगाई जाएगी।

3. लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने वाले कपल को पुलिस स्टेशन में रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ेगा। साथ ही इस बात की सूचना अपने माता-पिता को देनी होगी।

4. शादी के बाद रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य होगा। रजिस्ट्रेशन न होने पर शादी को अवैध माना जाएगा। रजिस्ट्रेशन न कराने पर सरकारी सुविधाओं का लाभ उठाने से वंचित होना पड़ सकता है।

5. समान कानून लागू होने से मुस्लिम महिलाओं को भी गोद लेने का अधिकार होगा और इसकी प्रक्रिया बेहद आसान होगी।

6. महिलाओं को भी पुरुषों के समान माता-पिता की संपत्ति में बराबर हिस्सा मिलेगा।

7. मुस्लिम समुदाय की इद्दत प्रथा पर प्रतिबंध लग सकता है।

8. पति-पत्नी के बीच तलाक की प्रकिया अब समान होंगी।

9. पति-पत्नी के बीच विवाद में बच्चों की कस्टडी दादा-दादी को दी जाएगी।

10. अनाथ बच्चों को गोद लेने और देखरेख की प्रक्रिया आसान होगी।

11. जनसंख्या को कंट्रोल करने के लिए विधानसभा में विधेयक पेश किया जा सकता है।

12. नौकरीपेशा बेटे की मृत्यु की स्थिति में बुजुर्ग माता-पिता के भरण-पोषण की जिम्मेदारी पत्नी पर होगी और उसे मुआवजा मिलेगा। साथ ही पति की मृत्यु की स्थिति में यदि पत्नी पुनर्विवाह करती है तो उसे मिला हुआ मुआवजा माता-पिता के साथ साझा किया जाएगा।

13. अगर पत्नी की मृत्यु हो जाती है और उसके माता-पिता को कोई सहारा नहीं मिलता है, तो उनकी देखरेख की जिम्मेदारी पति की होगी।

14. यूसीसी ड्राफ्ट में महिलाओं पर ध्यानकेंद्रित किया गया है।

15. आदिवासी समाज को यूसीसी से राहत मिलने की संभावना है।

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