CM योगी ने कैबिनेट मंत्रियों के साथ देखी 'The Kerala Story', फिल्म की टीम को दी शुभकामनाएं

उत्तर प्रदेश में लव जेहाद व धर्मांतरण पर अंकुश लगाने के लिए 27 नवंबर, 2020 को विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020 लागू किया गया।
CM योगी ने कैबिनेट मंत्रियों के साथ देखी 'The Kerala Story'
CM योगी ने कैबिनेट मंत्रियों के साथ देखी 'The Kerala Story'

लखनऊ, एजेंसी। 'द केरल स्टोरी' में बयां किया गया लव जेहाद पीड़िताओं और धर्मांतरण का दर्द वास्तव में बहुत बड़ा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व उनकी कैबिनेट ने शुक्रवार को यह फिल्म देखी, लेकिन इसका दर्द बहुत पहले ही महसूस कर इसके खिलाफ कड़े कदम उठा लिए।

लोकभवन ऑडिटोरियम में फ़िल्म की विशेष स्क्रीनिंग की गई थी। फिल्म के दौरान मुख्यमंत्री पूरे समय मौजूद रहे। यहां मुख्यमंत्री व मंत्रीगणों के साथ-साथ बड़ी संख्या में भाजपा के पदाधिकारी, विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक संगठनों से जुड़ी महिलाओं, स्कूली छात्र-छात्राओं और मीडिया प्रतिनिधियों की उपस्थिति रही। वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट कर फिल्म से जुड़े सभी लोगों का अभिनंदन करते हुए उन्हें शुभकामनाएं प्रेषित कीं।

उत्तर प्रदेश में विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020 लागू

उत्तर प्रदेश में लव जेहाद व धर्मांतरण पर अंकुश लगाने के लिए 27 नवंबर, 2020 को विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020 लागू किया गया। पिछली सरकारों की लचर कार्यप्रणाली से पीड़िताओं को न्याय नहीं मिल पाता था। इस अध्यादेश के बाद लव जेहाद और धर्मांतरण के आरोपियों के खिलाफ पुरजोर कार्रवाई कर नजीर पेश की। कानून को लागू करने और पालन कराने में योगी आदित्यनाथ सरकार ने सबसे तेजी से पहल की।

गौरतलब है कि केरल हाईकोर्ट के न्यायाधीश ने 9 दिसम्बर, 2009 को दिए फैसले में जबरन मतांतरण को लेकर सख्त टिप्पणी भी की थी। उन्होंने कहा था प्यार के नाम पर यहां जबरन मतांतरण कराया जा रहा है। सरकार को इस तरह की गतिविधियों को रोकने के लिए कानून बनाया जाना चाहिए।

उप्र में 433 मामले दर्ज, 855 पुलिस के हत्थे चढ़े

उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 27 नवंबर,2020 से 30 अप्रैल 2023 तक धर्मांतरण से जुड़े 433 मामले दर्ज किए गए। इसमें अब तक 855 से ज्यादा गिरफ्तारी भी हो चुकी है। 184 मामलों में पीड़िताओं ने न्यायालय के समक्ष जबर्दस्ती धर्म बदलवाने की बात भी कबूल की है। वहीं नाबालिगों के धर्मांतरण के अब तक 66 मामले दर्ज किए गए हैं।

बरेली जोन में दर्ज किए गए सर्वाधिक मामले

उप्र में धर्म परिवर्तन से जुड़े कुल 433 मामले दर्ज किए गए। इसमें बरेली जोन में सर्वाधिक 86 मुकदमे दर्ज हुए। गोरखपुर में 61, लखनऊ में 55, मेरठ में 47, प्रयागराज में 46, वाराणसी में 40 मामले दर्ज किए गए। कमिश्नरेट की बात करें तो लखनऊ व कानपुर में 20-20, प्रयागराज में 14, नोएडा में 10 मामले दर्ज किए गए। वहीं आरोपियों की गिरफ्तारी पर नजर दौड़ाएं तो सबसे अधिक आरोपी प्रयागराज जोन से ही गिरफ्तार भी हुए। इन मामलों में कार्रवाई करते हुए प्रयागराज जोन की पुलिस ने 163 आरोपियों को धर-दबोचा। बरेली में 137 गिरफ्तारियां की गईं। लखनऊ में 124, वाराणसी में 115, गोरखपुर में 86, मेरठ में 65, आगरा जोन में 37, कानपुर में धर्मांतरण के 21 आरोपी पुलिस के हत्थे चढ़े।

धर्मांतरण कराने वालों पर सजा का प्रावधान

उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण कानून के तहत दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को अपराध की गंभीरता के आधार पर 10 साल तक की जेल हो सकती है। कानून में जुर्माने की राशि 15 हजार से 50 हजार तक है। अंतर-धार्मिक विवाह करने वाले जोड़ों को शादी करने से दो महीने पहले जिला मजिस्ट्रेट को सूचित करना होता है। जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर न्यूनतम 15 हजार रुपये के जुर्माने के साथ एक से पांच साल की कैद का प्रावधान है। एससी-एसटी समुदाय के नाबालिगों और महिलाओं के धर्मांतरण पर तीन से 10 साल की सजा का प्रावधान है। जबरन सामूहिक धर्मांतरण के लिए तीन से 10 साल जेल और 50 हजार रुपये जुर्माना लगेगा। कानून के मुताबिक अगर विवाह का एकमात्र उद्देश्य महिला का धर्म परिवर्तन कराना था, तो ऐसी शादियों को अवैध करार दिया जाएगा।

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