Loksabha Election: बुलंदशहर से किसकी किस्मत का सितारा होगा बुलंद, जानें इस सीट का राजनीतिक इतिहास

Loksabha Election: उप्र के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह एवं बाबू बनारसी दास और वर्तमान में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान जैसे दिग्गज नेताओं का नाता भी बुलंदशहर जिले से रहा है।
Loksabha Election
Loksabha Electionraftaar.in

लखनऊ, (हि.स.)। राजधानी दिल्ली से महज 64 किलोमीटर दूर बुलंदशहर उत्तर प्रदेश की सियासत में अहम मुकाम रखता है। बुलंदशहर काली नदी के किनारे बसा हुआ है और इसका पुराना नाम बरन हुआ करता था। इस शहर की स्थापना राजा अहिबरन ने की थी। जिले का खुर्जा क्षेत्र चीनी मिट्टी के शानदार काम के लिए दुनियाभर में पहचाना जाता है। इतना ही नहीं, बुलंदशहर के बुगरासी आम बहुत ही स्वादिष्ट होते हैं। उप्र के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह एवं बाबू बनारसी दास और वर्तमान में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान जैसे दिग्गज नेताओं का नाता भी बुलंदशहर जिले से रहा है। बुलंदशहर लोकसभा सीट पर मतदान दूसरे चरण में 26 अप्रैल को होगा।

बुलंदशहर लोकसभा सीट का इतिहास

यह सीट वर्ष 1952 में अस्तित्व में आई थी, तब से यहां पर लगातार चुनाव हो रहे हैं। वर्ष 2009 में हुए चुनाव में यह सीट एससी के लिए आरक्षित हो गई थी। वर्ष 1952 में हुए चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार रघुवर दयाल मिश्र ने जीत हासिल की थी। वे लगातार 2 बार इस सीट से सांसद रहे। इस सीट पर सबसे ज्यादा जीतने वाले उम्मीदवार भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) के छत्रपाल सिंह रहे। उन्होंने भाजपा लहर में वर्ष 1991, 1996, 1998 और 1999 में जीत हासिल की और केंद्र में राज्य मंत्री रहे। फिर 2004 के चुनाव में भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को यहां से उतारा और उन्हें बड़ी जीत हासिल हुई। 2009 में समाजवादी पार्टी (सपा) यहां से जीती। 2014 और 2019 के आम चुनाव में भाजपा का कमल यहां खिला। भाजपा इस सीट से अब तक 7 बार जीत चुकी है। कांग्रेस ने 1984 में अंतिम बार यहां से जीत दर्ज की थी।

2019 आम चुनाव के नतीजे

2019 के लोकसभा चुनाव में बुलंदशहर संसदीय सीट के चुनाव परिणाम को देखें तो यहां पर मुख्य मुकाबला बीजेपी के भोला सिंह और भाजपा के योगेश वर्मा के बीच था। भोला यहां से तत्कालीन सांसद भी थे, जबकि योगेश वर्मा बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के साझे उम्मीदवार के तौर पर मैदान में थे। भोला सिंह को चुनाव में 6,81,321 वोट मिले तो योगेश के खाते में 3,91,264 वोट आए। कांग्रेस तीसरे नंबर पर रही थी। भोला सिंह ने करीब 2,90,057 लाख मतों के अंतर से यह चुनाव जीत लिया था।

किस पार्टी ने किसको बनाया उम्मीदवार

वर्तमान में इस सीट पर भाजपा का कब्जा है और भोला सिंह यहां से सांसद हैं। इस बार भी भाजपा ने उसे उम्मीदवार बनाया है। बसपा ने नगीना के निवर्तमान सांसद गिरीश चंद्र जाटव को मैदान में उतारा है। इंडिया गठबंधन में ये सीट कांग्रेस के खाते में है। कांग्रेस ने शिवराम वाल्मीकि पर दांव लगाया है।

बुलंदशहर सीट का जातीय समीकरण

बुलंदशहर सुरक्षित लोकसभा उत्तर प्रदेश की सीट नंबर-14 है। मगर ये मुस्लिम, लोध, दलित, जाट और ब्राह्मण बहुल सीट मानी जाती है। जबकि वैश्य,त्यागी,गुर्जर,राजपूत और अन्य ओबीसी मतदाताओं की भी इस सीट पर महत्वपूर्ण भूमिका है। लोकसभा चुनाव 2024 में बुलंदशहर सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 17 लाख 76 हजार 567 है, जिनमें पुरूष मतदाताओं की संख्या 9 लाख 45 हजार 340 है, जबकि महिला वोटरों की संख्या 8 लाख 31 हजार 100 है, वहीं ट्रांसजेंडर वोटर 127 हैं। यहां पर करीब 2 लाख ब्राह्मण और 2 लाख के करीब ठाकुर या क्षत्रिय वोटर्स है जाट बिरादरी के 1.60 लाख, जाटव बिरादरी के 2.20 लाख, लोध बिरादरी के 2 लाख वोटर्स के अलावा करीब 3 लाख मुस्लिम वोटर्स हैं। खटीक, वाल्मीकि गुर्जर, त्यागी, कश्यप, प्रजापति, पाल (गड़रिया) जाति के वोटर्स अच्छी खासी संख्या में रहते हैं।

विधानसभा सीटों का हाल

बुलंदशहर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत यहां 5 विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिनके नाम अनूपशहर, डिबाई, बुलंदशहर, शिकारपुर और स्याना है। पांचों सीटों पर भाजपा का कब्जा है। अनूपशहर से संजय कुमार शर्मा, डिबाई से चंद्रपाल सिंह, बुलंदशहर से प्रदीप कुमार चौधरी, शिकारपुर से अनिल कुमार और स्याना से देवेन्द्र सिंह लोधी विधायक हैं।

दलों की जीत का गणित

आम चुनाव 2024 में फिलहाल इस सीट की चुनावी जंग त्रिकोणीय बनती दिखाई दे रही है। हालांकि की भाजपा की मजबूत सीटों में से बुलंदशहर एक सीट है। 2019 में भाजपा ने यहां लाखों वोटों के बड़े अंतर से सपा-बसपा गठबंधन के बावजूद जीत दर्ज की है। अबकी बार सपा और बसपा अलग-अलग चुनाव लड़ रही हैं। ऐसे में इसका फायदा भी भाजपा प्रत्याशी को मिल सकता है। जिससे भाजपा के लिए ये सीट सेफ की श्रेणी में आ जाती है। ऐसे में इस सीट पर कमल के खिलने की संभावना प्रबल हो जाती है।

डीएन पीजी कॉलेज गुलावठी, बुलंदशहर समाजशास्त्र विभाग के अस्टिेंट प्रोफेसर शशि कपूर के अनुसार, पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का असर क्षेत्र के वोटरों पर दिखाई देता है। भाजपा प्रत्याशी कल्याण सिंह की विरासत को आगे बढ़ाते दिखते हैं। बकौल कपूर, बसपा और सपा अगर मिलकर चुनाव लड़ते तो भाजपा को टक्कर दे सकते थे।

बुलंदशहर से कौन कब बना सांसद

  • 1952 रघुबर दयाल मिश्रा (कांग्रेस)

  • 1957 कन्हैया लाल बाल्मीकि (कांग्रेस)

  • 1962 सुरेन्द्र पाल सिंह (कांग्रेस)

  • 1967 सुरेन्द्र पाल सिंह (कांग्रेस)

  • 1971 सुरेन्द्र पाल सिंह (कांग्रेस)

  • 1977 महमूद हसन खां (भारतीय लोकदल)

  • 1980 महमूद हसन खां (जनता पार्टी सेक्युलर)

  • 1984 सुरेन्द्र पाल (कांग्रेस)

  • 1989 सरवर हुसैन (जनता दल)

  • 1991 छत्रपाल सिंह (भाजपा)

  • 1996 छत्रपाल सिंह (भाजपा)

  • 1998 छत्रपाल सिंह (भाजपा)

  • 1999 छत्रपाल सिंह (भाजपा)

  • 2004 कल्याण सिंह (भाजपा)

  • 2009 कमलेश बाल्मीकि (सपा)

  • 2014 भोला सिंह (भाजपा)

  • 2019 भोला सिंह (भाजपा)

अन्य खबरों के लिए क्लिक करें:- www.raftaar.in

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in