नई दिल्ली, रफ्तार। बजट से पहले इस बार केंद्र सरकार इकोनॉमिक सर्वे पेश नहीं करेगी। इसे मुख्य आर्थिक सलाहकार तैयार करते हैं। इसके बाद वित्त मंत्री इसे लोकसभा में पेश करते हैं। अमूमन प्रत्येक 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट से एक दिन पहले इकोनॉमिक सर्वे पेश किया जाता है। यह साल आम चुनावों का है। अगर, सरकार बदलती है, तो रेगुलर बजट प्रक्रिया बाधित हो सकती है। ऐसे में इस बार अंतरिम बजट पेश होगा। चुनावी साल होने की वजह से इकोनॉमिक सर्वे पेश नहीं किया जा रहा है।
1950-51 में पेश हुआ था पहला इकोनॉमिक सर्वे
वित्त मंत्रालय के मुताबिक आम चुनावों के बाद जब पूर्ण बजट आएगा तो उससे पहले इकोनॉमिक सर्वे पेश होगा। भारत का पहला इकोनॉमिक सर्वे 1950-51 में पेश हुआ था। 1964 तक इकोनॉमिक सर्वे और आम बजट साथ-साथ पेश किए जाते थे।
सरकार लाई आर्थिक रिपोर्ट
इकोनॉमिक सर्वे की जगह केंद्र सरकार आर्थिक रिपोर्ट लेकर आई है। यह रिपोर्ट 10 वर्षों में भारत की यात्रा पर है। रिपोर्ट का नाम-द इंडियन इकोनॉमी: ए रिव्यू है। इसमें आगामी वर्षों में इकोनॉमी के आउटलुक के बारे में बताया गया है। इसे मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने तैयार की है। रिपोर्ट में बताया गया है कि यह भारत का इकोनॉमिक सर्वे नहीं है।
3 साल में बनेगा 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी
द इंडियन इकोनॉमी: ए रिव्यू रिपोर्ट में दावा किया गया है कि देश अगले 3 साल में 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनेगा। इसके साथ ही 2030 तक 7 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनेगी। पिछले इकोनॉमिक सर्वे में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 6-6.8 फीसदी के बीच आंकी गई थी। अनुमान वैश्विक स्तर पर आर्थिक एवं राजनैतिक स्थितियों को देखते हुए लगाया गया था। सर्वे का रियल जीडीपी ग्रोथ के लिए बेसलाइन अनुमान 6.5 फीसदी था। वहीं, इकोनॉमिक सर्वे 2021-22 में भारत की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 8-8.5 फीसदी लगाया गया था।
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