Train लेट थी, दूसरी ट्रेन पकड़ने के लिए शख्स ने OLA को दिए इतने पैसे; लोग बोले इतने में तो फ्लाइट से चले जाते

Kanpur: छुट्टियों और त्योहारों के दौरान अत्यधिक भीड़ और ट्रेनों का देरी से आना आम बात है। हालाँकि, पूरे उत्तर भारत में कोहरे और दृश्यता की कमी के कारण सर्दियों में स्थिति और खराब हो जाती है।
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कानपुर, रफ्तार डेस्क। छुट्टियों और त्योहारों के दौरान अत्यधिक भीड़ और ट्रेनों का विलंब होना आम बात है। हालाँकि, पूरे उत्तर भारत में कोहरे और दृश्यता की कमी के कारण सर्दियों में स्थिति और खराब हो जाती है। कई ट्रेनें देरी से चल रही होती हैं या रद्द कर दी जाती हैं। इसमें रेलवे की भी अपनी कोई गलती नहीं होती है, उन्हें यात्रियों को दुर्घटना आदि से बचाना होता है। ट्रेनों के देरी से चलने के कारण, समस्या यात्रियों को ही झेलनी पड़ती है। लेकिन किसी बिज़नेस या अन्य महत्वपूर्ण कार्य के लिए जानें वाले यात्रियों को ट्रेनों का इस तरह का विलंब बड़ी समस्या बन जाती है। ऐसी ही बड़ी समस्या कानपुर के एक व्यक्ति को झेलनी पड़ी।

अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए कैब यात्रा के लिए ₹ 4,500 खर्च करने पड़े

कानपुर के एक व्यक्ति ने हाल ही में अपनी ट्रेन के नौ घंटे लेट होने के कारण एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर अपनी दुर्दशा साझा की। उन्होंने कहा कि अपनी कनेक्टिंग ट्रेन छूटने से बचने के लिए उनके पास कानपुर से झाँसी तक एक अंतरराज्यीय टैक्सी किराए पर लेने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं था। भले ही उनके पास एक सत्यापित तत्काल टिकट था जिसे उन्होंने ₹ 1,500 में खरीदा था, दुर्भाग्य से, उन्हें समय पर अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए कैब यात्रा के लिए ₹ 4,500 खर्च करने पड़े।

इतने में तो फ्लाइट से चले जाते

कानपुर के व्यक्ति ने बुधवार को एक्स पर लिखा कि जो ट्रेन मुझे दोपहर 1.15 बजे कानपुर जंक्शन में पकड़नी थी वह 9 घंटे देरी से है। मुझे रात 8.15 बजे झाँसी में राजधानी पकड़नी थी। तो मुझे दोपहर 2 बजे (ट्रेन के) लेट होने के बारे में पता चला। मेरे पास ₹4,500 में ओला लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।' वहीं तत्काल टिकट 1500 रुपये में खरीदा गया था. कुल ₹ 6,000 का नुकसान,'' इसके बाद लोगो की तरह तरह की प्रतिक्रिया इस मामले को लेकर आ रही है। इसमें सबसे मजेदार प्रतिक्रिया देते हुए एक शख्स ने कह डाला कि इतने में तो फ्लाइट से चले जाते।

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