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कन्नौज : घोड़े और खच्चर की लाइलाज बीमारी ग्लेंडर्स एंड फार्सी से बचाव का प्रशिक्षण दिया

कन्नौज,12मार्च (हि.स.)। ग्लैण्डर्स एवं फार्सी रोग एक लाइलाज बीमारी है, जिसका बचाव मात्र सतर्कता है। घोड़े, गधे एवं खच्चरों में फफोले आदि दिखने पर तत्काल मुख्य पशु चिकित्साधिकारी कार्यालय में अवगत कराएं। यह जानकारी आज प्रभारी जिलाधिकारी/अपर जिलाधिकारी (वि0/रा0) गजेंद्र कुमार ने कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित प्रशिक्षण सत्र के दौरान उपस्थित पशु चिकित्सकों व कार्मिकों को दी। प्रशिक्षण में बताया गया कि ग्लैण्डर्स एवं फार्सी रोग प्रथम बार सं 1881 में मुख्यतः घोड़े, गधों एवं खच्चरों में पाया गया था। इस रोग के संबंध में प्रथम बार सं 1664 में जानकारी हुई कि यह जानवर से जानवर में सांस व खुले घाव के संपर्क में आने से फैलता है। उसके पश्चात सन 1830 में पाया गया कि यह बैक्टीरिया जनित बीमारी जानवरों से इंसान में भी व्यग्र रूप में फैल सकती है तथा इस बैक्टीरिया का प्रयोग विश्व युद्ध प्रथम व द्वितीय में भी बायो हथियार के रूप में किया गया था। प्रशिक्षण डॉ0 दिनेश कुमार गुप्ता द्वारा दिया गया, जिसमें बताया गया कि यह एक लाइलाज बीमारी है इसलिये इससे क्षुब्ध घोड़े, गधे, खच्चर आदि को दया मृत्यु दिए जाने का प्रावधान है। जिसके मुआवजे के तहत घोड़े पर राज्य सरकार द्वारा 25 हजार, एवं गधे, खच्चर आदि पर 16 हजार रुपये संबंधित व्यक्ति को नियमानुसार दिया जाता है। प्रशिक्षण में इस बीमारी के संबंध में विस्तार से चर्चा करते हुए इसकी रोकथाम व उपाय के संबंध में सभी को अवगत कराया गया। प्रशिक्षण में मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ0 अनिल कुमार सिंह, अपर मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ0 संजय शल्या, डॉ0 दिनेश कुमार गुप्ता सहित अन्य पशु चिकित्सक व कर्मचारी उपस्थित थे। हिन्दुस्थान समाचार/संजीव

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