Manoj Kumar, Arvind Sen
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नौकरशाहों को राजनीति में आना पसंद, पूर्व के अनुभव से सियासी दांव पेंच में माहिर; इस दल में सबसे ज्यादा अफसर

Loksabha Election: पिछले 24 सालो में राजनीती में प्रवेश करने वाले नौकरशाहों की संख्या में हमेशा बढ़ोतरी ही हुई है और यह ट्रेंड चलते ही जा रहा है।

नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। नौकरशाही का भी राजनीति में प्रवेश करना आम बात हो गया है। आखिर हो भी क्यों न हमारा संविधान हर किसी को चुनाव लड़ने का अधिकार देता है। किसी को भी राजनीती में आने या छोड़ने के लिए दवाब नहीं बनाया जा सकता है। नौकरशाही में रहे अफसर राजनीति की सारी बारीकी जानते हैं। अपने कार्यकाल के दौरान उन्हें राजनेताओं के आदेश के अनुसार कार्य करना पड़ता है। उन्हें अच्छे से पता होता है कि राजनीति में किस तरह से कार्य किया जाए, जिससे देश का तेजी से विकास हो। यह बात अलग है कि हर कोई राजनीति में पूरी तरह गलत के खिलाफ आवाज नहीं उठा पाता है।

कई नौकरशाह राजनीति में आने के लिए VRS तक लेने को तैयार हो जाते हैं

पिछले 24 सालो में राजनीती में प्रवेश करने वाले नौकरशाहों की संख्या में हमेशा बढ़ोतरी ही हुई है और यह ट्रेंड चलते ही जा रहा है। केंद्र से लेकर उतर प्रदेश की राजनीती में नौकरशाहों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। यहां तक कि सेना और इंजीनियरिंग कैडर के अधिकारी भी अपनी सर्विस के बाद राजनीति को अपनी दूसरी पारी के रूप में प्राथमिकता देना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। नौकरशाहों में कई ऐसे नाम हैं, जिन्होंने राजनीति में बड़े पदभार को संभाला है। इनमे भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी नटवर सिंह और पूर्व सैन्य अधिकारी जसवंत सिंह जैसे बड़े नाम शामिल हैं, जिहोने राजनीति में बड़े पद संभाले। बात उत्तर प्रदेश की चल रही है तो यहां से ओपी सागर, राय सिंह, चंद्र प्रकाश, देवी दयाल, ओपी राम, आरए प्रसाद समेत पूर्व नौकरशाहों की एक बड़ी सूची है, जिन्होंने राजनीति में प्रवेश लिया। इन्होने नौकरशाहों के लिए दूसरी पारी के रूप में राजनीति का द्वार खोला है। यहां तक कि कई नौकरशाह राजनीति में आने के लिए VRS तक लेने को तैयार हो जाते हैं।

इस चुनाव की करे तो इस बार भी कई नौकरशाह चुनाव लड़ना जा रहे हैं

लोकसभा चुनाव काफी नजदीक है और बात इस चुनाव की करे तो इस बार भी कई नौकरशाह चुनाव लड़ना जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कैबिनेट सेक्रेटरी रहे नृपेंद्र मिश्रा के बेटे साकेत मिश्रा भी भाजपा के टिकट पर श्रावस्ती से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। वहीं डिप्टी एसपी रहे शुभ नरायन गौतम को BSP ने कौशांबी से अपना प्रत्याशी बनाया है। वहीं BSP ने रिटायर्ड आईआरएस अधिकारी सुरेंद्र सिंह को मथुरा से अपना प्रत्याशी बनाया है। पूर्व आईपीएस रहे अरविंद सेन को CPI ने फैजाबाद से अपना प्रत्याशी बनाया है। इंजीनियरिंग कैडर के रिटायर्ड अधिकारी जालौन लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे। समाजवादी पार्टी ने रिटायर्ड एडीजे मनोज कुमार को नगीना से अपना प्रत्याशी बनाया है।

भारतीय जनता पार्टी अफसरों को ज्यादा मौका देती है

भारतीय जनता पार्टी अफसरों को ज्यादा मौका देती है। इसका उदाहरण पार्टी में शामिल रिटायर्ड अधिकारी हैं। जो अन्य दलों की तुलना में भाजपा में अधिक हैं। आप जनरल वीके सिंह का नाम भी ले सकते हैं, वह भारतीय सेना के जनरल रह चुके हैं। भाजपा ने उन्हें गाजियाबाद से चुनाव लड़ाया था। जिसमे उन्होंने जीत हासिल करके केंद्र सरकार में मंत्री बने। इस बार उन्होंने चुनाव लड़ने से मना कर दिया है। वहीं मुंबई के पुलिस कमिश्नर रहे सत्यपाल सिंह को भी भाजपा ने बागपत से चुनाव लड़ाया था। जिसमे उन्होंने जीत हासिल करके केंद्र सरकार में मंत्री बने। ऐसे कई अफसर है, जिन्हे भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया और वे मंत्री बने।

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