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इनपुट टैक्स क्रेडिट धोखाधड़ी के आरोप में चार्टर्ड अकाउंटेंट गिरफ्तार

नई दिल्ली, 25 अगस्त (आईएएनएस)। जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय (डीजीजीआई) की गुरुग्राम जोनल यूनिट (जीजेडयू) ने फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) माल या सेवाओं की वास्तविक आपूर्ति को फर्जी तरीके से पास करने के लिए फर्जी फर्म बनाने के आरोप में दिल्ली चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) को गिरफ्तार किया है। सीए की पहचान नई दिल्ली के पीतमपुरा निवासी मनीष मोदी के रूप में हुई है। 176 करोड़ रुपये के फर्जी आईटीसी मामले में डीजीजीआई ने जांच शुरू की थी, जिसके आधार पर गिरफ्तारी की गई है। इस मामले में फर्जी आईटीसी को रिडामेंसी वल्र्ड के संजय गोयल और आठ गैर-मौजूद फर्मों के वास्तविक नियंत्रक दीपक शर्मा द्वारा पारित किया गया था। एक बार डीजीजीआई द्वारा रैकेट का भंडाफोड़ करने के बाद, गोयल और शर्मा को गिरफ्तार करने वाले पहले व्यक्ति थे। आगे की जांच में, दो और प्रमुख व्यक्तियों, मनीष मोदी और गौरव अग्रवाल की भूमिका सामने आई। इसके बाद डीजीजीआई ने मोदी को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने कहा कि मनीष मोदी फर्जी फर्म निवारन एंटरप्राइजेज और पंचवटी एंटरप्राइजेज का प्रबंधन/नियंत्रण कर रहा है, जिसके माध्यम से उसने फर्जी आईटीसी को 36 करोड़ रुपये तक पहुंचाया है। इसके अलावा उसके पास आपत्तिजनक साक्ष्य भी पाए गए हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि इसी तरह के उद्देश्यों के लिए ऐसी कई और फर्मों को उसके द्वारा नियंत्रित/प्रबंधित किया जा सकता है। मामले में आगे की जांच जारी है। अग्रवाल एंड कंपनी (आईटीसी के अधिकृत डीलर) के पार्टनर गौरव अग्रवाल का नाम भी आईटीसी धोखाधड़ी के तत्काल रैकेट में शामिल एक अन्य प्रमुख व्यक्ति के रूप में सामने आया है। उसने धोखे से 15 करोड़ रुपये (जीएसटी और उपकर सहित) के नकली इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) पर पारित किया था, इस प्रकार इसी तरह के आरोपों पर डीजीजीआई द्वारा गिरफ्तार किया गया है। मनीष मोदी और गौरव अग्रवाल को 23 अगस्त को गिरफ्तार किया गया और ड्यूटी मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट, दिल्ली के समक्ष पेश किया गया, जिन्होंने 14 दिनों की न्यायिक हिरासत का आदेश दिया। दोनों व्यक्तियों द्वारा क्रमश: 36 करोड़ रुपये और 15 करोड़ रुपये से अधिक के नकली आईटीसी को धोखाधड़ी से पारित किया गया था। मामले में आगे की जांच जारी है। --आईएएनएस एसएस/आरजेएस

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