Chunavi Kissa: जब नेहरु का दामाद पर फूंटा गुस्सा, बेटी की बिगड़ी तबियत तो कह दी ये बात; जानें चुनावी किस्सा

New Delhi: चुनाव करीब थे ऐसे में चुनाव प्रचार के दौरान फिरोज़ गांधी जनता तक पहुंचने के लिए एक के बाद एक रैली कर रहे थे। तभी इंदिरा गांधी की तबियत बिगड़ी तो उनके पिता नेहरु ने अपने दामाद को डांट दिया।
Jawaharlal Nehru
Indira Gandhi
Feroze Gandhi
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नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। इंदिरा गांधी के पिता और देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु ने एक बार चुनावी प्रचार के समय अपने दामाद को डांट दिया था। ये बात उस समय कि है जब फिरोज़ गांधी रायबरेली लोकसभा सीट से चुनाव में उतरे थे। तब इंदिरा गांधी ने बात को संभालते हुए अपने पिता को शांत किया था।

इलाहाबाद से चुनाव लड़ना चाहते थे फिरोज़ गांधी

देश में आज़दी की लहर के बाद जब लोकसभा चुनाव का डंका बजा। कांग्रेस के बड़े-बड़े नेताओं ने आगे आकर ज़बरदस्त चुनाव-प्रचार अभियान शुरु किया। ऐसे में एक शख्य थे फिरोज़ गांधी, एक युवा नेता विचारों से थे बिल्कुल कट्टर कांग्रेसी। उस समय इलाहाबाद से कई नेता कांग्रेस में थे। फिरोज़ गांधी वैसे तो इलाहाबाद से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन उनकी बात नहीं बनी।

नेहरु का अपने दामाद पर क्यूं फूंटा गुस्सा?

रफी अहमद किदवई से उनकी बहुत अच्छी दोस्ती थी। अहमद ने ही उनको रायबरेली का रास्ता दिखाया। रायबरेली तब ही से कांग्रेस का पारिवारिक गढ़ बन गई। चुनाव प्रचार के दौरान फिरोज़ गांधी जनता तक पहुंचने के लिए एक के बाद एक रैली कर रहे थे। उनकी पत्नी इंदिरा गांधी भी गांव-गांव जाकर चुनाव-प्रचार में जुटी थीं। उस समय जवाहरलाल नेहरु भी अपनी बेटी और दामाद के साथ थे। तभी अचानक नेहरु को लगा कि उनकी बेटी की तबियत ठीक नहीं है। नेहरु ने अपने दामाद से कह दिया "एक दिन में और कितनी रैली करोगे?" इस बात का इंदिरा गांधी ने बीच-बचाव करते हुए कहा "पापा मैं ठीक हूं।"

ऐसे रायबरेली बना गांधी परिवार का गढ़

रायबरेली सीट से हर कोई परिचित है। इस सीट को गांधी परिवार का गढ़ बनाने वाले फिरोज़ गाधी ही थे। उन्होंने दो बार इस सीट से जीत दर्ज की। 1960 में उनकी मौत के बाद, इंदिरा गांधी ने 1971 में अपनी पति की रायबरेली सीट से चुनाव लड़ा। 1975 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उनकी सांसद सदस्यता को अयोग्य घोषित कर दिया। इंदिरा गांधी ने अपनी प्रधानमंत्री की कुर्सी बचाने के लिए इमरजेंसी लगा दी। 1977 में इमरजेंसी हटाने के बाद उन्होंने फिर से रायबरेली से चुनाव लड़ा। लेकिन इमरजेंसी के काले दौर से गुजरने के बाद लोगों ने इंदिरा गांधी को नकार दिया। बाद में हुए चुनावों में इंदिरा गांधी ने वापसी की और देश की प्रधानमंत्री बनीं। कुछ सालों बाद इंदिरा गांधी के बेटे की पत्नी सोनिया गांधी ने 2004 में रायबरेली से अपनी राजनीति का पारी शुरु की। उन्होंने राबरेली से लगातार जीत दर्ज की। साल 2024 में उन्होंने अपनी बढ़ती उम्र और बीमारी के चलते रायबरेली की जनता को पत्र लिखकर उनकी धन्यवाद दिया। उन्होंने रायबरेली से इस्तीफा दे दिया और राज्यसभा सांसद बन गईं।

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