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सात बैंक रुके हुए आम्रपाली हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में 1,500 करोड़ रुपये डालेंगे

नई दिल्ली, 21 मार्च (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट को सोमवार को सूचित किया गया कि सात राष्ट्रीयकृत बैंक रुकी हुई आम्रपाली आवास परियोजनाओं में 1,500 करोड़ रुपये का निवेश करेंगे। जस्टिस यू.यू. ललित और बेला एम. त्रिवेदी को बैंकों के संघ द्वारा सूचित किया गया है कि परियोजनाओं के वित्तपोषण के संबंध में सभी दस्तावेज पूरे कर लिए गए हैं और केवल इंडियन बैंक ने कोई निर्णय नहीं लिया है। वकील ने पीठ के समक्ष कहा कि बाकी दस्तावेजों पर 2-3 दिनों के भीतर हस्ताक्षर किए जाएंगे। बैंकों के संघ में बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, यूको बैंक, इंडियन बैंक और पंजाब एंड सिंध बैंक शामिल हैं। शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त रिसीवर, वरिष्ठ अधिवक्ता आर. वेंकटरमनी ने पीठ को सूचित किया कि भारतीय स्टेट बैंक और पंजाब नेशनल बैंक ने आम्रपाली परियोजनाओं के लिए धन देने के लिए स्वीकृति आदेश जारी किया है। घर खरीदारों के वकील कुमार मिहिर ने कहा, इंडियन बैंक भी कंसोर्टियम के हिस्से के रूप में बोर्ड में आया है, लेकिन अभी तक मंजूरी आदेश पारित नहीं किया है। कंसोर्टियम दस्तावेज भी तैयार किए गए हैं। अदालत ने बैंकों को जरूरी काम करने और फंड जारी करने का निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत को बताया गया कि कई हजार फ्लैट ऐसे हैं, जहां घर खरीदने वालों का पता नहीं चल रहा है। 7 मार्च को, सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों के कंसोर्टियम को बैंक ऑफ बड़ौदा के नक्शेकदम पर चलने का निर्देश दिया था, जिसने रुकी हुई आम्रपाली आवास परियोजनाओं के लिए धन देने के लिए मंजूरी आदेश जारी किया था और दो दिनों के भीतर आम्रपाली परियोजनाओं के वित्तपोषण पर निर्णय लिया था। शीर्ष अदालत ने कहा कि उसे उम्मीद है कि बैंकों द्वारा अनुमोदन आदेश पारित किया जाएगा, क्योंकि यह अंतिम चरण में है और इस बात पर जोर दिया कि बैंकों द्वारा सुनवाई की अगली तारीख से पहले पैसा जारी किया जाना चाहिए। 21 फरवरी के अपने आदेश में शीर्ष अदालत ने कहा था कि यूको बैंक के वकील आलोक कुमार, बैंक ऑफ बड़ौदा के वकील विश्वजीत दुबे और भारतीय स्टेट बैंक के वकील मेघा कर्णवाल ने स्वीकार किया है कि संबंधित बैंक प्रक्रिया में हैं। एक सप्ताह के भीतर निर्णय के अंतिम चरण में पहुंचने के लिए। शीर्ष अदालत को सूचित किया गया कि मामलों को बैंकों के शीर्ष स्तर पर समाप्त किया जाएगा, जिसके बाद तुरंत फंडिंग शुरू हो सकती है। नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन (एनबीसीसी) के वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने कहा कि उनके मुवक्किल ने पहले ही 109 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है और स्थिति में तत्काल हस्तक्षेप की जरूरत है। शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा, रिकॉर्ड पर परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए और धन के निरंतर प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए हम बैंकों के संघ के सदस्यों को आज से सात दिनों के भीतर अपने अंतिम निर्णय रिकॉर्ड में रखने और उसके बाद एक सप्ताह के भीतर वित्त पोषण को प्रभावी करने का निर्देश देते हैं, ताकि 15 मार्च, 2022 को या उससे पहले पहली किस्त के रूप में कम से कम 300 करोड़ रुपये जारी किए जाते हैं। वेंकटरमनी ने शीर्ष अदालत को सूचित किया था कि परियोजनाओं के वित्तपोषण के संबंध में विचार-विमर्श या सूचनाओं के आदान-प्रदान की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत बैंकों के संघ को इस सप्ताह के दौरान धन जारी करने का निर्देश दे सकती है, ताकि उन्हें और एनबीसीसी को काम के आगे निष्पादन की योजना बनाने और बिना किसी और देरी के बकाया देनदारियों का भुगतान करने में सुविधा हो सके। --आईएएनएस एसजीके/एएनएम

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