अमेजन-फ्यूचर मामले में मध्यस्थता कार्यवाही दोबारा शुरू हो: सुप्रीम कोर्ट

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नयी दिल्ली, 6 अप्रैल (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को ई-कॉमर्स क्षेत्र की दिग्गज कंपनियों अमेजन और फ्यूचर समूह के मामले में मध्यस्थता कार्यवाही दोबारा शुरू करने का आदेश दिया। चीफ जस्टिस एन वी रमन्ना की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया। खंडपीठ में जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली भी शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सिंगापुर स्थित अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र ही फ्यूचर रिटेल के आवेदन पर सुनवाई करेगा और अपना आदेश जारी करेगा। चीफ जस्टिस ने मामले की सुनवाई के बाद कहा, मैं उम्मीद करता हूं कि मुझे यह मामला दोबारा न सुनना पड़े। इस पर अमेजन के वकील गोपाल सुब्रमणियम ने कहा ,हम जल्द ही आपके समक्ष उपस्थित होगें। चीफ जस्टिस ने तब उनसे कहा कि नहीं, नहीं किसी और मामले में उपस्थित हों। सुप्रीम कोर्ट अमेजन की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। अमेजन ने अपनी याचिका में कहा था कि फ्यूचर रिटेल ने अपने सभी स्टोर रिलांयस को दे दिये हैं। इस पर फ्यूचर रिटेल के वकील के वी विश्वनाथन ने कहा कि प्राधिकरण को उनके मुवक्किल के आवेदन पर जल्द निर्णय लेना चाहिये, जिसमें उन्होंने मध्यस्थता की कार्यवाही रोकने का आग्रह किया है। खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई समाप्त करते हुये कहा कि दोनों पक्ष मध्यस्थता कार्यवाही दोबारा शुरू करने के लिये सिंगापुर स्थित अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र में जायेंगे और फिर वह ही फ्यूचर रिटेल के आवेदन पर फैसला सुनायेगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई में पहले ही कहा था कि अमेजन भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के आदेश को चुनौती दे रहा है, जबकि फ्यूचर समूह सीसीआई के उसी आदेश के आधार पर सिंगापुर स्थित अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र में जारी कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग कर रहा है। गौरतलब है कि 2019 में अमेजन ने फ्यूचर रिटेल की प्रवत्र्तक इकाई फ्यूचर कूपन में 49 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी। इसके एक साल बाद 2020 में, फ्यूचर समूह ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ समझौता किया था। अमेजन ने इस सौदे पर अपनी आपत्तियां अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र के समक्ष रखीं थीं। फ्यूचर समूह ने सुनवाई पर रोक लगाने की मांग की और बाद में दिल्ली हाईकोर्ट ने इस सुनवाई पर रोक भी लगा दी। अमेजन को दूसरा झटका सीसीआई के गत साल दिसंबर में जारी आदेश से भी लगा जब सीसीआई ने उस पर 202 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने के साथ फ्यूचर कूपंस के साथ उसके समझौते को दी गयी अपनी मंजूरी वापस ले ली। यह मामला लेकिन अब एक बार फिर सिंगापुर स्थित अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र के पास चला गया है। --आईएएनएस एकेएस/एएनएम

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