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काव्य रूप में पढ़ें श्रीरामचरितमानस: भाग-49

राघव के आशीष से, हुई थकावट दूर राक्षस थे पर लड़ रहे, अभी दंभ में चूर। अभी दंभ में चूर, विकट माया फैलाई अंधकार का जाल बिछाया, अति दुखदाई। कह ‘प्रशांत’ हो गयी राक्षसों को अति सुविधा मगर राम की सेना को थी भारी दुविधा।।41।। - देख रामजी ने किया, क्लिक »-www.prabhasakshi.com

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