read-shri-ramcharitmanas-in-poetic-form-part-48
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काव्य रूप में पढ़ें श्रीरामचरितमानस: भाग-48

शूपनखा मारीच को, कुछ तो कीजे याद किसके बाणों से हुए, खर-दूषण बरबाद। खर-दूषण बरबाद, काल है सिर पर छाया उसने धर्म विचार बुद्धि-बल सभी मिटाया। कह ‘प्रशांत’ बेटे जवान दो व्यर्थ गंवाए पड़े बुद्धि पर पत्थर, कौन तुम्हें समझाए।।31।। - अंगद था बतला रहा, वहां सभी को हाल कैसे क्लिक »-www.prabhasakshi.com

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