inflation-became-a-matter-of-serious-concern-for-families---survey
inflation-became-a-matter-of-serious-concern-for-families---survey

महंगाई परिवारों के लिए गंभीर चिंता का विषय बनी- सर्वे

नई दिल्ली, 20 मई (आईएएनएस)। आईएएनएस-सीवोटर सर्वेक्षण के अनुसार, अधिकांश भारतीय परिवार महंगाई के कारण बढ़ते खचरें ने चिंता बढ़ा दी है और उनका मानना है कि पिछले एक साल में बढ़ते खचरें का प्रबंधन करना मुश्किल होता जा रहा है। यह चार राज्यों - असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल - और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में आईएएनएस की ओर से सीवोटर द्वारा किए गए एक विशेष सर्वे के दौरान सामने आया, जहां 2021 में विधानसभा चुनाव हुए थे। देश के सामने मौजूद सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक चुनौतियों पर जनता की राय जानने के लिए प्रश्नों की एक चैन और अलग-अलग प्रकार के मुद्दों को पूछा गया। भारतीय परिवार बढ़ते खचरें को लेकर बहुत चिंतित हैं और महंगाई कोई आश्चर्य की बात नहीं है, क्योंकि नए सरकारी आंकड़े इसकी पुष्टि कर रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति की दर अप्रैल में 7.79 प्रतिशत थी, जबकि मुद्रास्फीति की थोक दर 15.2 प्रतिशत थी। तमिलनाडु में, लगभग दो-तिहाई उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्हें बढ़ते खचरें का प्रबंधन करना मुश्किल हो रहा है, जबकि अन्य 22 प्रतिशत ने कहा कि खर्च वास्तव में बढ़ गया है, वे बस प्रबंधन करने में सक्षम हैं। पड़ोसी केरल में, उत्तरदाताओं में से लगभग 62 ने कहा कि उन्हें बढ़ते खचरें का प्रबंधन करना मुश्किल हो रहा है, जबकि अन्य 25 प्रतिशत की राय है कि खर्च बढ़ गया है, फिर भी वे प्रबंधनीय है। अन्य राज्यों में भी स्थिति उतनी ही विकट नजर आ रही है। असम में, तीन में से दो उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्हें बढ़ते खचरें का प्रबंधन करना बहुत मुश्किल हो रहा है, जबकि अन्य 18 प्रतिशत ने दावा किया कि खर्च बढ़ गया है, वे बस प्रबंधन करने में सक्षम है। पश्चिम बंगाल राज्यों से सबसे अधिक प्रतिकूल रूप से प्रभावित प्रतीत होता है। कम से कम 74 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने दावा किया कि उन्हें बढ़ते खचरें का प्रबंधन करना बहुत मुश्किल हो रहा है। अन्य 16 प्रतिशत ने कहा कि खर्चे बढ़ गये हैं, लेकिन प्रबंधन करने में सक्षम है। सर्वेक्षण के अनुसार, पिछले एक साल से आय या तो कम हो गई है या स्थिर बनी हुई है, फिर भी भारतीय परिवार बढ़ते खचरें के चक्र में फंसते दिख रहे हैं। जहां राज्य सरकारें और मुख्यमंत्री प्रदर्शन रेटिंग पर काफी अच्छा स्कोर दर्शाते हैं, वहीं आम मतदाता आश्वस्त हैं कि 2021 में चुनाव होने के बाद से उनके परिवारों की वित्तीय स्थिति खराब हो गई है। असम में, करीब 51 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि परिवार का खर्च बढ़ गया है, जबकि आय वास्तव में कम हो गई है। एक अन्य 19 प्रतिशत ने माना कि परिवार की आय स्थिर बनी हुई है, लेकिन खर्च बढ़ गया है। अन्य राज्यों में कहानी बहुत अलग नहीं थी, जहां 2021 में चुनाव हुए थे। पश्चिम बंगाल में पड़ोसी असम में, उत्तरदाताओं में से 46.5 प्रतिशत ने कहा कि पिछले एक साल में पारिवारिक आय कम हो गई है, जबकि खर्च बढ़ गया है। अन्य 31.5 प्रतिशत ने दावा किया कि पारिवारिक आय स्थिर बनी हुई है, जबकि खर्च बढ़ गया है। दक्षिण के मतदाताओं ने समान भावनाओं को साझा किया। केरल में, 39 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि उनकी व्यक्तिगत आय में कमी आई है जबकि परिवार के खर्चे बढ़ गए हैं, जबकि 34 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने दावा किया कि आय स्थिर बनी हुई है जबकि खर्च बढ़ गया है। तमिलनाडु में, 39 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि खर्च बढ़ गया है, जबकि व्यक्तिगत आय कम हो गई है। अन्य 35 प्रतिशत ने कहा कि व्यक्तिगत आय स्थिर रही जबकि परिवार का खर्च बढ़ गया है। --आईएएनएस एचके/एएनएम

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in