कुंभ मेलों में आवाहन अखाड़े को मिलना चाहिए सबसे पहले शाही स्नान का अधिकार

महंत गोपाल गिरि महाराज ने कहा कि संतों का पहला कर्तव्य है की वह सत्य को धारण करें और अखाड़ों की सत्यता को सामने लायें।
कुंभ मेलों में आवाहन अखाड़े को मिलना चाहिए सबसे पहले शाही स्नान का अधिकार
कुंभ मेलों में आवाहन अखाड़े को मिलना चाहिए सबसे पहले शाही स्नान का अधिकार

हरिद्वार, हिन्दुस्थान समाचार। श्री पंच दशनाम आवाहन अखाड़ा के महंत गोपाल गिरि महाराज ने कहा कि कुंभ मेलों में शाही स्नान का अधिकार सबसे पहले आवाहन अखाड़ा को मिलना चाहिए। साथ ही अटल और निर्वाणी अखाड़ा भी साथ में स्नान करें। इसका कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि यह तीनों अखाड़ा ही आदि शंकराचार्य भगवान के प्रादुर्भाव से पूर्व स्थापित हैं।

संतों का पहला कर्तव्य है की वह सत्य को धारण करें

उन्होंने उन संतों को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि वे स्वयं को सबसे बड़ा अखाड़ा बताते हैं और सबसे पहले स्नान करने के लिए लालायित रहते हैं। महंत गोपाल गिरि महाराज ने कहा कि संतों का पहला कर्तव्य है की वह सत्य को धारण करें और अखाड़ों की सत्यता को सामने लायें। उन्होंने कहा कि शंकराचार्य के विषय में भी स्पष्ट किया जाना चाहिए। जब आवाहन अखाड़ा वि.स. 603 सन् 547 ई में स्थापित हुआ। अटल अखाड़ा वि.सं. 703 सन् 646 ई. और श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी वि.सं. 805 सन् 749 ई. में स्थापित हुआ।

कुंभ मेलों में शाही स्नान सबसे पहले होना चाहिए

उन्होंने कहा कि यह तीनों अखाड़ा आदि गुरु शंकराचार्य के प्रादुर्भाव से पूर्व के हैं। आदि गुरु शंकराचार्य का जन्म वि.सं. 845 सन् 789 ई. और मृत्यु 821 ई. में हुई। आनन्द अखाड़ा वि.सं. 912 सन् 856 ई., निरंजनी अखाड़ा वि.सं. 960 सन् 904 ई., श्रीपंच अग्नि अखाड़ा वि.सं. 1192 सन् 1136 ई. में हुआ और जूना अखाड़ा वि.सं. 1202 सन् 1156 ई. में हुआ। इस हिसाब से आवाहन अखाड़ा की स्थापना सर्वप्रथम हुई। इसी कारण से आवाहन, अटल और महानिर्वाणी अखाड़ों का सभी कुंभ मेलों में शाही स्नान सबसे पहले होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो अग्रणी हैं उन्हें पीछे कर दिया गया है। अब इसके लिए वे आवाज उठाएंगे।

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