उत्तराखंड में बसपा के पैंतरे से भाजपा विरोधी भौंचक, जानें मायावती की चुनावी रणनीति से किसका फायदा?

Loksabha Election 2024: भाजपा विरोधी इन सीटों पर अभी तक मुस्लिम वोटरों के ध्रुवीकरण की आस लगाए थे, लेकिन अब उनका बिखराव तय माना जा रहा है।
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देहरादून, (हि.स.)। प्रथम चरण के नामांकन के लिए समय सीमा खत्म होने से ऐन पहले उत्तराखंड में उम्मीदवारों की घोषणा करके बसपा ने जो पैंतरा फेंका है, उसने हरिद्वार और नैनीताल सीट पर भाजपा विरोधियों को अवाक कर दिया है। इन दोनों ही सीटों पर पार्टी ने मुस्लिम चेहरा चुनाव मैदान में उतारा है। इन दोनों जगह मुस्लिम वोटों की अच्छी खासी संख्या है। भाजपा विरोधी इन सीटों पर अभी तक मुस्लिम वोटरों के ध्रुवीकरण की आस लगाए थे, लेकिन अब उनका बिखराव तय माना जा रहा है। इसका सीधा फायदा भाजपा को मिलेगा।

बसपा ने यूपी के पूर्व विधायक जमील अहमद को हरिद्वार से चुनाव मैदान में उतारा

हरिद्वार लोकसभा सीट पर मुस्लिम वोटरों की संख्या करीब पांच लाख बताई जा रही हैं। भगवानपुर, मंगलौर, झबरेड़ा, खानपुर, लक्सर, पिरान कलियर, हरिद्वार ग्रामीण में मुस्लिम वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। वर्तमान में कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत इस सीट पर खुद चुनाव न लड़कर अपने बेटे विरेंद्र रावत को लड़वा रहे हैं। खानपुर के निर्दलीय विधायक उमेश कुमार ने भी मजबूती से चुनाव लड़ने का इरादा जाहिर किया है। रावत और उमेश दोनों ही मुस्लिम वोटों के उनके पक्ष में आने की उम्मीद कर रहे हैं। इन स्थितियों के बीच, बसपा ने यूपी के पूर्व विधायक जमील अहमद को चुनाव मैदान में उतारकर मुस्लिम वोटरों से जुडे़ समीकरणों में बड़ा उलट फेर कर दिया है। इससे पहले, भावना पांडेय को बसपा का टिकट दिया जा रहा था, लेकिन उन्होंने पार्टी से नाता तोड़ लिया है।

हरिद्वार संसदीय सीट को बसपा ने हालांकि कभी जीता नहीं है

हरिद्वार संसदीय सीट को बसपा ने हालांकि कभी जीता नहीं है, लेकिन इसके अंतर्गत कई विधानसभा सीटों पर बसपा का प्रभाव शुरू से रहा है। अधिकतम पांच विधायक भी इस संसदीय क्षेत्र से बसपा के पूर्व में जीत चुके हैं। ऐसे में भले ही बसपा जीत हासिल न करे, लेकिन वोटों का एक बड़ा हिस्सा अपने पाले में खींचने में उसे सफलता मिल सकती है। चुनावी लड़ाई के जीतने कोण खुलेंगे, भाजपा उतनी ही आरामदायक स्थिति में रहेगी। इस सीट पर प्रमुख राजनीतिक दलों में सिर्फ बसपा का उम्मीदवार ही मुस्लिम समुदाय से है, लिहाजा कांग्रेस व निर्दलीय प्रत्याशी की तरफ जाने वाले मुस्लिम वोटों में बिखराव तयशुदा माना जा रहा है।

नैनीताल सीट पर बसपा ने मुस्लिम चेहरे अख्तर अली माहीगीर पर दांव खेला है

दूसरी तरफ, नैनीताल लोकसभा सीट की बात करें, तो हरिद्वार लोकसभा सीट के बाद सबसे ज्यादा मुस्लिम वोटर इसी क्षेत्र में है। ऊधमसिंह नगर व नैनीताल जिले का लगभग संपूर्ण क्षेत्र नैनीताल लोकसभा सीट के अंतर्गत है। नैनीताल जिले में सिर्फ रामनगर सीट गढ़वाल लोकसभा सीट के अंतर्गत शामिल है। ऊधमसिंह नगर जिले में मुस्लिम आबादी करीब 23 फीसदी, तो नैनीताल जिले में करीब 13 फीसदी है। भाजपा ने इस बार भी यहां से केंद्रीय राज्य मंत्री अजय भट्ट को टिकट दिया है। वहीं, कांग्रेस ने अपेक्षाकृत नए चेहरे प्रकाश जोशी को उम्मीदवार बनाया है। इस सीट पर बसपा ने मुस्लिम चेहरे के तौर पर अख्तर अली माहीगीर पर दांव खेला है। इस लोकसभा सीट को भी हरिद्वार की तरह बसपा कभी जीत नहीं पाई है, लेकिन यहां की कुछ विधानसभा सीटों पर उसका प्रभाव रहा है। वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में यहां की दो विधानसभा सीटों पर बसपा के उम्मीदवार जीते थे।

भाजपा इससे सुकून महसूस कर रही है

हरिद्वार के पांच विधायकों को मिलाकर इस वर्ष विधानसभा पहुंचने वाले बसपा विधायकों की कुल संख्या सात रही थी। हरिद्वार में अतिक्रमण विरोधी अभियान के चलते पिछले दिनों हिंसा की घटनाओं ने देशभर में सुर्खियां बटोरी थी। उसके बाद से कांग्रेस मुस्लिम वोटरों के एकमुश्त अपने पाले में आने की उम्मीद कर रही थी, लेकिन बसपा से मुस्लिम चेहरा सामने आने के बाद इनके बिखराव की प्रबल संभावनाएं बन गई हैं। भाजपा इससे सुकून महसूस कर रही है। हालांकि संगठनात्मक दृष्टि से पार्टी इस सीट पर भी बेहद मजबूत स्थिति में है। वर्ष 2014 के बाद से भाजपा यहां पर अजेय बनी हुई है। बसपा ने उत्तराखंड की तीन अन्य सीटों पर भी प्रत्याशी उतारे हैं, लेकिन वे वहां पर फिलहाल समीकरणों को प्रभावित करने की स्थिति में नजर नहीं आ रहे हैं।

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