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फर्रुखाबाद : डॉक्टर दिवस 01 जुलाई को नवनीत गुप्ता होंगे सम्मानित

फर्रुखाबाद, 29 जून (हि.स.)। भारत में पहली बार एक जुलाई 2014 को राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाया गया। यह दिवस प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. विधान चंद्र रॉय, जिनका जन्म और मृत्यु की सालगिरह एक ही दिन पर पड़ती है, को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। वे पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री थे। 14 जनवरी 1948 से उनकी मृत्यु तक 14 वर्ष तक वे इस पद पर थे। उनका जन्म खजांची रोड बन्कीपुर, पटना, बिहार मे हुआ था। उन्हें वर्ष 1961 में भारत रत्न से सम्मनित किया गया। भारत में प्रति वर्ष 01 जुलाई को डॉक्टर्स की समाज के प्रति अमूल्य सेवा एवं योगदान के बारे में जनसाधारण को जागरुक करने के लिये राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस (डाक्टर्स डे) मनाया जाता है। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने बुरी तरह से संपूर्ण देशवासियों को प्रभावित किया। लगभग हर व्यक्ति ने अपने प्रियजनों व स्वजनों को खोया। इस महामारी से हर तरफ निराशा फैली हुई है। लेकिन कुछ स्वास्थ्य कर्मी, डॉक्टर व फ्रंटलाइन वर्कर्स अपनी सेवाओं से उम्मीद की किरण को जगाए हुए हैं। अपने काम के प्रति निष्ठावान बने हुए हैं। ऐसे ही मिसाल बनकर उभरे हैं वर्तमान में सिविल अस्पताल लिंजीगंज में आयुष चिकित्सक के पद पर तैनात डॉ. नवनीत गुप्ता। जिले में डॉ. नवनीत ने उम्मीद की किरण बनकर लोगों की मदद की और अपने सेवा भाव से कोरोना पाजिटिव आने पर लोगों को घर पर जाकर होम आइसोलेट करना, उनके सम्पर्क में आने वाले लोगों की जांच कराना कोविड से ग्रसित मरीजों को अस्पताल में भेजना यह उनकी दिनचर्या में शामिल हो गया है। डॉ. नवनीत ने बताया कोरोना की दूसरी लहर के आने से मरीजों की संख्या उस समय धीरे-धीरे बढ़ने लगी और सभी जगह डर जैसा माहौल हो गया। एक बार तो वह भी डरे, लेकिन उन्होंने अपने आप को संभाला और फिर दृढ़ता से अपने कार्य में जुट गए। उन्होंने बताया कोई भी वायरस शरीर के अंदर त्वचा के माध्यम से नहीं जाता वह नाक मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। इसलिए सही तरह से मास्क का प्रयोग किया और अपने घर के सदस्यों से उस दौरान दूर रहा। लेकिन मरीजों के संपर्क में आने के कारण दूसरी लहर में दो बार खुद कोरोना पाजिटिव आ गए। टीका लगा होने के कारण वह घर पर रहकर स्वस्थ हो गये। इस दौरान उनका वजन 10 किलो कम हो गया। सिविल अस्पताल लिंजीगंज के प्रभारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आरिफ सिद्दीकी का कहना है कि डॉ. नवनीत जैसे लोगों की समाज को सख्त जरूरत है। नवनीत ने बहुत ही मेहनत व निष्ठा से मरीजों को घर पर आइसोलेट कर उनका मनोबल बढ़ाया। अगर मरीज ज्यादा गम्भीर हुआ तो उसे सम्बंधित कोविड अस्पताल में भेजना उनके रोज के कामों में शामिल था। स्टाफ की कमी के चलते भी उन्होंने व्यवस्थाओं को जिस तरह से सम्भाला वह उनकी काबिलियत को प्रदर्शित करता है। डॉक्टर नवनीत गुप्ता को इस बार डॉक्टर दिवस पर सम्मानित किया जाएगा। हिन्दुस्थान समाचार/चन्द्रपाल

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