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छोटी काशी में शनि मंदिरों में गूंजेंगे शनिदेव के जयकारे

जयपुर,12 मार्च (हि.स.)। जयपुर सहित प्रदेशभर में फाल्गुन कृष्ण पक्ष की अमावस्या शनिवार को शनिश्चरी अमावस्या श्रद्धाभाव के साथ मनाई जाएगी। जिसके चलते जयपुर को कहे जाने वाली छोटी काशी के निवासी सूर्य पुत्र शनि की आराधना में लीन नजर आएगे। इस मौके पर शहर के शनि मंदिरों में धार्मिक आयोजन होंगे। सुबह से ही शनि मंदिरों में भक्तों का तांता लगना शुरू हो जाएगा ,जो देर रात तक चलेगा। इस दौरान शनि मंदिरोंं में सुबह से विशेष कार्यक्रम के साथ ही शनि महाराज को नवीन पोशाक धारण करवा कर फूल बंगलो झांकी सजाई जाएगी और दिनभर दान-पुण्य का दौर रहेगा। राजधानी जयपुर के शनि मंदिरों में सुबह से ही भक्त शनि देव की कृपा पाने के लिए शनि मंदिरों में तेल,काला व नीला कपडा,उड़द दाल,काले तिल,लौहे की वस्तुए चढ़ा कर सुख शांति की कामना करेंगे। वहीं शनि देव को खीर कंगन का भोग लगा कर भक्तों को प्रसाद वितरित भी किया जाएगा। इधर गोविंददेव जी मन्दिर सहित शहर के अन्य मन्दिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ रहेगी और श्रद्धालुओं ने पितृ दोष की शांति, शनि की ढैया एंच साढ़े सात की शांति के लिए शनि ग्रह के मंत्रों का जाप और शनि से संबधित वस्तुओं जैसे काला वस्त्र, काले तिल, उड़द की दाल, लौहे का सामान, छतरी, जूते, कंबल,सरसों का तेल, आदि का दान करेंगे। जनता स्टोर स्थित शनि मंदिर,गेटोर स्थित शनि साईं धाम मंदिर, एसएमएस स्थित शनि मंदिर,बांसबदनपुरा स्थित प्राचान शनि मंदिर ,सिंधी कैंप स्थित शनि, सोड़ाला स्थित प्राचीन शनि मंदिर,श्याम नगर स्थित शनि मन्दिर, इंदिरा बाजार स्थित शनि मंदिर, जोरावर सिंह गेट स्थित शनि मंदिर,इंदिरा गांधी स्थित शनि मंदिर सहित शहर के सभी शनि मंदिरों में भगवान शनि का तेलाभिषेक किया जाएगा। इसके बाद सभी शनि मंदिरों में भगवान शनि को नवीन पोशाक पहना कर उनका श्रृंगार किया जाएगा तो कही मंदिरों में महाआरती भी की जाएगी। ज्योतिषाचार्य हरिशंकर शर्मा ने बताया कि इस दिन मीन राशि में चंद्रमा और साध्य योग रहेगा। यह इस संवत की अंतिम शनि अमावस्या रहेगी। इसके बाद 12 अप्रेल को सोमवती अमावस्या का योग बनेगा। अमावस्या का शास्त्रों में विशेष महत्व बताया है। इस दौरान दान-पुण्य का दौर चलेगा। वहीं पितृ तर्पण शांति के लिए ब्राह्मण दंपति को भोजन पितरों के निमित्त दान किया जाएगा। इसके साथ ही अमावस्या पर चार ग्रहों की युति रहेगी। इनमें क्रमश: सूर्य, चंद्र, बुध, शुगि कुंभ राशि में रहेंगे। अर्थात शनि की राशि में ही चर्तुग्रही युति योग बनेगा। शनि की प्रसन्नता के लिए जिन जातकों के शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या या शनि की महादशा चल रही हैं, वे शनिदेव का तेल से अभिषेक तथा शनि की वस्तुओं का दान करें। हिन्दुस्थान समाचार/दिनेश/संदीप

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