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हिमाचल में चाय बागानों की जमीनों को बेचना होगा कठिन, नए संसोधन को मिली मंत्रिमंडल की मंंजूरी

शिमला, 24 मई (हि. स.)। हिमाचल में चाय बागानों की जमीनों को बेचना मुश्किल होगा। सरकार ने चाय बागानों की भूमि को बिकने से बचाने के लिए पूर्व कांग्रेस सरकार द्वारा नियमों में किए गए संशोधनों को वापस ले लिया है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में सोमवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में चाय बागानों की भूमि बेचने को लेकर नियमों में किए गए संशोधनों को वापस लेने बारे फैसला हुआ। प्रदेश मंत्रिमंडल के इस फैसले को अब मॉनसून सत्र में विधान सभा में प्रस्तुत किया जाएगा। विधान सभा में संशोधन विधेयक के पारित होने के बाद यह फैसला लागू होगा। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में पूर्व कांग्रेस सरकार के वक्त लैंड सीलिंग एक्ट की धारा छ ए व सात ए में संशोधन किया गया था। संशोधन के बाद चाय बागानों के मालिक सरकार से अनुमति लेकर अपने बागानों को बेच सकते थे। हालांकि नियमों के मुताबिक चाय बागानों का लैंड यूज नहीं बदला जा सकता, मगर संशोधन के बाद इसे बदला जा सकता था। संशोधन के पीछे का मकसद प्रदेश में टी टूरिज्म को विकसित करना माना गया था। सरकार द्वारा नियमों में संशोधनों के बाद कई वीआईपी प्रदेश में चाय बागान खरीदने के इच्छुक थे। प्रदेश सरकार पर इसे लेकर चौतरफा दबाव बताया जा रहा था। सोमवार को मंत्रिमंडल की बैठक में पूर्व कांग्रेस सरकार के वक्त हुए नियमों में संशोधनों को वापस ले लिया गया। वहीं अब हिमाचल में माननीय अपने वाहनों पर झंडी लगा कर चल सकेंगे। सोमवार को मंत्रिमंडल की बैठक में इस बारे फैसला लिया गया। अलबत्ता माननीय किस तरह की झंडी अपने वाहन पर लगा सकेंगे, इस पर विधान सभा अध्यक्ष को निर्णय लेने के लिए अधिकृत किया गया है। जाहिर है कि विधान सभा अध्यक्ष के इस पर अंतिम निर्णय लेने के बाद माननीय को झंडी मिल जाएगी। संसदीय मामलों के मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि यह निर्णय मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन के अनुरुप होगा। उ ल्लेखनीय है कि इससे पहले वी.वी.आई.पी. संस्कृति को समाप्त करने के लिए प्रधानमंत्री ने अपने वाहन से लालबत्ती को उतार दिया था, जिसका अनुसरण बाद में राज्यपाल और मु यमंत्री ने प्रदेश स्तर पर किया था। लेकिन अब सरकार उसी राह पर चल पडी है। हिन्दुस्थान समाचार/सुनील/उज्जवल

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