नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। किसान देश का अन्नदाता होता है, उसकी दिन रात की मेहनत से ही अनाज देश के कोने कोने तक पहुंचता है। किसान संगठनों और सरकार को जल्द से जल्द इस आंदोलन को मिलकर समाप्त कर देना चाहिए। इससे किसान और देश के आम इंसान को क्षति पहुंचती है। ऐसी ही एक खबर पंजाब और हरियाणा के शम्भु बॉर्डर से आयी है।
यह किसान आंदोलन के बीच पहली मौत है
शंभू बॉर्डर में किसान आंदोलन में शामिल 78 वर्षीय पंजाब के गुरदासपुर के अन्नदाता ज्ञान सिंह की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गयी है। उन्होंने शुक्रवार 16 फरवरी 2024 को अंतिम सांस ली। सूत्रों से मिली सूचना के आधार पर उनकी मौत रात को प्रदर्शन के दौरान ठंड लगने से हुई। उन्हें सुबह 4 बजे पास के हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां से उन्हें पटिआला के राजिंद्र सरकारी अस्तपताल ट्रांसफर कर दिया गया था। यहां उन्हें आपातकालीन वार्ड में रखा गया और बचाने की पूरी कोशिश की गयी। करीब डेढ़ घंटे तक उनका इलाज चला। लेकिन इलाज के दौरान उन्होंने अपना दम तोड़ दिया। यह किसान आंदोलन के बीच पहली मौत है।
उनकी मौत की पुष्टि पटियाला के डिप्टी कमिश्नर शौकत अहमद पर्रे ने भी कर दी है
अस्तपताल के डॉक्टर ने किसान की मौत का कारण हार्ट अटैक को बताया है। उन्होंने बताया कि उन्हें जब यहां एडमिट किया गया था तो उनकी हालत काफी नाजुक थी। बुजुर्ग किसान की मौत सुबह 6 बजे हुई है। उनकी मौत की पुष्टि पटियाला के डिप्टी कमिश्नर शौकत अहमद पर्रे ने भी कर दी है। अहमद ने बताया कि बुजुर्ग किसान की मौत मेडिकल रिकॉर्ड के अनुसार हार्ट अटैक से हुई है। जानकारी के अनुसार ज्ञान सिंह की शादी नहीं हुई थी, वह अपने भतीजों के साथ रहते थे। उनके पास 1.5 एकड़ की खेती की जमीन थी, जिस पर वह खेती किया करते थे।
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