Telecom Bill 2023 को धन विधेयक के रूप में क्यों करना पड़ा पेश? फर्जी सिम लेने पर 3 साल की सजा; जानें सब कुछ

Parliament Winter Session: केंद्र सरकार लगातार नए नए बिल लोकसभा में रख रही है और वहां से पास हो जाने के बाद राजयसभा में पास होने के लिए भेज रही है।
Telecom Bill 2023
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नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। लोकसभा में मंगलवार को केंद्रीय दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दूरसंचार विधेयक, 2023 को सदन में पेश किया था, जिसे लोकसभा में बीते बुधवार को व्यापक चर्चा के बाद सदन में ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। व्यापक चर्चा के बाद बुधवार को निम्न सदन में इसे पारित कर दिया गया था। राज्यसभा में दूरसंचार विधेयक 2023 पारित हो गया है। वहां के बाद, इसे राष्ट्रपति के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा जायेगा। जिसके बाद यह विधेयक कानून में तब्दील हो जायेगा।

क्या है टेलीकॉम बिल?

नया विधेयक सुरक्षित दूरसंचार नेटवर्क बनाये रखने के लिए कानूनी और नियामक ढांचा तैयार करता है। इस विधेयक में व्हाट्सएप, टेलीग्राम आदि संचार प्लेटफॉर्म को बिल के दायरे से बाहर रखने का प्रस्ताव किया गया है। पहले इस तरह को कोई मसौदा नहीं था। नए विधेयक में सरकार को किसी भी आपातकाल या राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलो में किसी भी दूरसंचार सेवा और नेटवर्क को निलंबित करने, नियंत्रण में लेने या प्रतिबंध करने का अधिकार देने का प्रावधान है।

इस बिल के प्रावधान

इस विधेयक में प्रावधान रखा गया है कि जो भी गैरकानूनी तरीके से फोन संचार को बाधित करने का प्रयास करेगा, गलत तरीके से डेटा ट्रांसफर करने का प्रयास करेगा या दूरसंचार नेटवर्क तक कानून के विरुद्ध जाकर पहुंच हासिल करने की कोशिश करेगा, उसपर 3 साल की सजा और 2 करोड़ रूपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। विधेयक में ओटीटी ऐप्स को दूरसंचार से अलग करने की बात रखी गई है।

मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार विधेयक में क्या है चिंता का विषय?

सरकार पहले भी हिंसा से प्रभावित इलाको में शांति बहाल होने तक इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगाने के कदम उठाती रही है, जो कि एक बहस का मुद्दा है। नए विधेयक के मसौदे में सरकार के पास नेटवर्क पर अस्थायी कब्जा करने का अधिकार का प्रस्ताव रखा गया है। इसको लेकर मीडिया के माध्यम से विशेषज्ञों का सरकार को कब्जा और अस्थायी अवधि को स्पष्ट करने के लिए कहा गया है। इस कानून के आलोचको का मानना है कि TRAI तो सरकार की हाथ की कठपुतली बनकर रह जायेगा।

सरकार ने धन विधेयक की तरह क्यों पेश किया इस बिल को?

टेलीकॉम बिल 2023 को धन विधेयक के रूप में पेश करने का कारण यह है कि धन विधेयक को राज्यसभा में पेश तो किया जाता है लेकिन राज्यसभा को सिर्फ इसमें बदलाव की सिफारिश करने का अधिकार होता है। और लोकसभा के लिए यह जरुरी नहीं है कि वह राज्यसभा की सिफारिशों को माने। इस तरह के विधेयक को लोकसभा में पारित हो जाने के बाद राज्यसभा में केवल विचार के लिए भेजा जाता है। राज्यसभा को इसे 14 दिनों के अंदर स्वीकृति देनी होती है, नहीं तो इसे राज्यसभा से पास मान लिया जाता है।

फर्जी सिम लेने पर कड़ी सजा

नए विधेयक में फर्जी सिम लेने पर 3 साल तक की जेल और 50 लाख तक के जुर्माने का प्रावधान है। इससे काफी हद तक होने वाली जालसाजी से बचा जा सकेगा।

विज्ञापन के लिए पहले अनुमति लेना जरुरी

नए विधेयक के अनुसार कंपनियों को विज्ञापनों के प्रसार के लिए उपभोक्ताओं से पहले अनुमति लेनी होगी। कंपनियों द्वारा अधिक मूल्य वसूल करने की स्थिति में ट्राई सही कीमत निर्धारित करेगा। दोषी पाए जाने पर ट्राई कार्यवाही भी करेगा।

स्पेक्ट्रम आवंटन का प्रस्ताव का तरीका

नए विधेयक से दूरसंचार कंपनियों के लिए कई नियम सरल कर दिए गए हैं। इसके साथ ही उपग्रह सेवाओं के लिए भी नए नियम लाये जायेंगे। इस विधेयक में उपग्रह स्पेक्ट्रम के आवंटन के लिए गैर-नीलामी के माध्यम से उपलब्ध कराने के प्रावधान है। इसमें साफ किया गया है कि किस परिस्थिति में प्रशासनिक ढंग से स्पेक्ट्रम आवंटित होंगे।

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