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क्लस्टर बमों के उन्मूलन की दिशा में प्रगति, मगर हताहतों की संख्या में वृद्धि

संयुक्त राष्ट्र समर्थित एक नई रिपोर्ट दर्शाती है क्लस्टर बमों व गोला-बारूद के कारण हताहत होने वाले लोगों की संख्या का बढ़ना, वर्ष 2020 में भी जारी रहा. इन हथियारों के उन्मूलन के लिये वैश्विक स्तर पर किये जा रहे प्रयासों में प्रगति के बावजूद प्रभावितों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है. क्लस्टर बम और युद्धक सामग्री बड़ी संख्या में छोटे-छोटे बमों व गोला-बारूद को मिलाकर बनाई जाती है. पिछले वर्ष, क्लस्टर युद्धक सामग्री के कारण दुनिया भर में लोगों के हताहत होने के कम से कम 360 मामले दर्ज किये गए. 'Cluster Munition Monitor 2021' के मुताबिक, इनमें क्लस्टर युद्धक सामग्री से किये गए हमलों के 142 मामले और इन हथियारों के अवशेषों से हताहत होने की 218 घटनाएँ हैं. हालांकि हताहतों की वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक होने की आशंका जताई गई है. वर्ष 2019 में 317 घटनाएँ और 2018 में 277 मामले सामने आए थे. मॉनीटर के मुताबिक, क्लस्टर गोला-बारूद का शिकार होने वालों में मुख्य रूप से आम लोग हैं – हमलों के दौरान और हिंसक संघर्ष का अन्त हो जाने के बाद. कुल हताहतों में बच्चों की संख्या क़रीब आधी (44 फ़ीसदी) है जबकि एक चौथाई पीड़ित महिलाएं और लड़कियां बताई गई है. ये वो मामले हैं जिनमें हताहतों की उम्र के बारे में जानकारी उपलब्ध है. बताया गया है कि 2020 में किसी हमले के दौरान महिलाओं व लड़कियों के जीवित बच पाने की सम्भावना अपेक्षाकृत कम थी. मॉनीटर के लिये इम्पैक्ट सम्पादक लॉरेन परसी ने बताया कि पिछले साल क्लस्टर युद्धक सामग्री से किये गए हमलों में, दैनिक कामकाज के लिये जा रहे आम लोग हताहत हुए. बिना फटे बम के अवशेषों से भविष्य के लिये एक जोखिम पैदा हो गया. MAG Lebanon लेबनान में लैंडमाइंस साफ़ किए जा रहे हैं. वर्ष 2020 में क्लस्टर युद्धक सामग्री के अवशेषों के पीड़ित, अफ़ग़ानिस्तान, कम्बोडिया, इराक़ लाओ पीडीआर, दक्षिण सूडान, सीरिया और यमन में थे. इसके अलावा, औनागार्नो-काराबाख में भी ऐसी घटनाएँ सामने आईं. दुनिया भर में 26 देश और तीन अन्य इलाक़े ऐसे गोला-बारूद के अवशेष हैं. शोधकर्ताओं के मुताबिक, क्लस्टर गोला-बारूद हमलों के कारण हताहतों की सबसे बड़ी संख्या अज़रबेजान (107) में है. आर्मीनिया और अज़रबेजान, क्लस्टर गोला-बारूद पर सन्धि का हिस्सा नहीं हैं. ‘Cluster Munition Coalition’ नामक गठबंधन ने सन्धि पर हस्ताक्षर ना करने वाले देशों से हथियारों को त्यागने और बिना देरी, सन्धि में शामिल होने का आग्रह किया है. बमों की अंधाधुंध बौछार क्लस्टर गोला-बारूद को ज़मीन या फिर हवा से कण्टेनर में गिराया जाता है, जिनके खुलने पर कण्टेनर में से, सैकड़ों छोटे-छोटे बम अंधाधुंध तरीक़े से बड़े इलाक़े में फैल जाते हैं. इनमें बड़ी संख्या में बारूद के अवशेष रह भी जाते हैं क्योंकि वो फट नहीं पाते. इससे ज़िन्दगियों के लिए ख़तरा पैदा होता है और रोज़मर्रा के कामकाज के लिये, जैसे कि खेतों पर काम के लिये जाना, मुश्किल हो जाता है. यह फिर सामाजिक-आर्थिक विकास में अवरोध पैदा होने का कारण बन जाता है. रिपोर्ट में पिछले वर्ष वैश्विक महामारी से उपजी चुनौतियों के बावजूद, ज़िन्दगियों और आजीविकाओं की रक्षा करने के मामले में हुई प्रगति का ज़िक्र किया गया है. हथियारों का जखीरा नष्ट क्लस्टर बमों व गोला-बारूद के जखीरे को नष्ट करने में हुई प्रगति, इस सन्धि की एक महत्वपूर्ण सफलता साबित हुई है. अब तक 36 सदस्य देशों ने सभी क्लस्टर युद्ध सामग्री के घोषित भण्डार के 99 प्रतिशत को नष्ट कर दिया है. DMA/RMAC-S Iraq विशेषज्ञों की एक टीम इराक़ के एक मैदान में क्लस्टर बमों की खोज कर रही है. पिछले वर्ष बुल्गारिया, पेरू और स्लोवाकिया ने दो हज़ार 273 क्लस्टर युद्धक सामग्री और 52 हज़ार से अधिक अन्य सम्बन्धित गोला-बारूद को नष्ट किया गया. इसके साथ-साथ, वर्ष 2020 में, चेक गणराज्य, नीदरलैण्ड्स और स्लोवाकिया ने शोध व प्रशिक्षण कार्यों के लिये रखे गए क्लस्टर गोला-बारूद के भण्डार को ख़त्म कर दिया. महामारी की चुनौतियाँ रिपोर्ट बताती है कि क्लस्टर युद्धक सामग्री के अवशेषों से पेश आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिये, जोखिम सम्बन्धी शिक्षा, जवाबी कार्रवाई का एक बुनियादी हिस्सा है. वैश्विक महामारी के कारण व्यक्तिगत रूप से जाकर जीवनरक्षक सूचना को प्रभावितों तक पहुँचाने का स्थान, ऑनलाइन सन्देशों, टीवी व रेडियो प्रसारणों जैसे विकल्पों ने ले लिया है. लॉरेन परसी ने बताया कि कई चुनौतियों के बावजूद, भूमि को गोला-बारूद से मुक्त करने, उसे सुरक्षित बनाने और भूमि को समुदायों को लौटाने के कार्य में प्रगति दर्ज की गई है. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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