नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। इंदिरा गांधी के बड़े बेटे संजय गांधी ने 1977 में जब अमेठी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा तो उनकी बहुत बुरी हार हुई। यहां तक कि इंदिरा गांधी भी अपनी सियासी सीट रायबरेली से चुनाव हार गई थीं। कांग्रेस पार्टी के बड़े-बड़े नेताओं को इस दौरान हार का सामना करना पड़ा।
नसबंदी का किस्सा
साल 1975 में जब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री के पद से अयोग्य घोषित कर दिया। इसके बाद इंदिरा गांधी ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए देश में आपातकाल घोषित कर दिया। उस समय कांग्रेस की बागडोर संजय गांधी के हाथ में थी। संजय गांधी कांग्रेस पार्टी के साथ-साथ देश की कमान भी थामे हुए थे। उनकी सलाह पर इंदिरा गांधी ने देश की जनसंख्या को काबू करने के लिए नसबंदी का ऐलान कर दिया। लाखों पुरुषों को जबरन पकड़ कर अस्पतालों में नसबंदी कराई जा रही थी। जिससे कि देश में बढ़ती हुई जनसंख्या पर काबू पाया जाए।
संजय गांधी ऐसे हारे अमेठी की सीट
1977 में आपातकाल हटने के बाद देश में फिर से लोकसभा चुनाव हुआ। इंदिरा गांधी ने रायबरेली से पर्चा भरा और संजय गांधी ने अमेठी से। संजय गांधी अपनी पत्नी मेनका गांधी के साथ अमेठी में चुनाव-प्रचार करने गए। उस दौरान कुछ महिलाओं ने उन्हें अपने पति का हत्यारा कहा, क्योंकि नसबंदी के दौरान बहुत सारे पुरुषों की मौत हो गई थी। जिसमें अमेठी की महिलाओं के पति भी शामिल थे। इसके बाद लोकसभा चुनाव के जब नतीजे आए उससे कांग्रेस पार्टी की नींद उड़ गई। अमेठी में संजय गांधी की थाली में हार आई। इंदिरा गांधी को भी रायबरेली की सीट से हाथ धोना पड़ा। यहां तक कि पार्टी के दिग्गज नेताओं को भी हार का सामना करना पड़ा। 1977 में जनता पार्टी ने केंद्र में अपनी सरकार बनाई। मोरारजी देसाई देश के प्रधानमंत्री बनने में सफल रहे।
खबरों के लिए क्लिक करें:- www.raftaar.in