Monsoon Session
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Monsoon Session: मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव, प्वाइंट्स में समझें क्या कहते हैं नियम

नई दिल्ली, रफ्तार न्यूज डेस्क। संसद के मानसून सत्र का आज यानी बुधवार को पांचवा दिन है। विपक्ष लगातार मणिपुर में चल रही हिंसा पर प्रधानमंत्री के सदन में बयान की मांग कर रहा है। इस बीच विपक्षी दलों द्वारा सरकार के खिलाफ आज अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया गया है जिसे लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने मंजूर भी कर लिया।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस प्रस्ताव पर अगले हफ्ते चर्चा की जा सकती है। सांसद गौरव गोगोई ने इस प्रस्ताव को बुधवार सुबह स्पीकर के कार्यालय में जमा किया। यदि अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस सुबह 10 बजे दिया जाता है तो उस पर नियम के अनुसार स्पीकर उसी दिन फैसला लेते हैं। इसी कड़ी में हम आपको अविश्वास प्रस्ताव, और उसके  जुड़े नियम-कायदों के बारे में प्वाइंट्स में समझाते हैं। 

1. सबसे पहले अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस मिलने के बाद लोकसभा स्पीकर यह देखेंगे कि नियम के मुताबिक इस नोटिस को कम से कम 50 सांसदों का समर्थन प्राप्त है अथवा नहीं और फिर लोकसभा अध्यक्ष इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए तारीख और समय तय करेंगे। 

2. बता दें कि कोई भी लोकसभा सांसद अविश्वास प्रस्ताव ला सकता है, लेकिन उस सांसद के पास कम से कम 50 लोकसभा सदस्यों के हस्ताक्षर होने चाहिए।

3. सदन की प्रक्रिया और आचरण के नियमों का अनुच्छेद 198 अविश्वास प्रस्ताव के बारे में बताता है। इस नियम के अनुसार लोकसभा सदस्य को सुबह 10 बजे से पहले इस प्रस्ताव की लिखित सूचना देनी होगी उसके बाद लोकसभा अध्यक्ष दिन, समय और तारीख तय करेंगे।

4. लोकसभा अध्यक्ष को जब भी कोई सदस्य तय नियम के तहत नोटिस देता है तो अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार करने के 10 दिनों के अंदर सरकार को सदन में अपना बहुमत साबित करना होता है। अगर सरकार बहुमत साबित करने में नाकाम रहती है तो प्रधानमंत्री सहित पूरे मंत्रिमंडल को अपने पद से इस्तीफा देना होता है।

मोदी सरकार के खिलाफ पहले भी लाया जा चुका है अविश्वास प्रस्ताव

मोदी सरकार के 9 वर्षों के शासन में ऐसा पहली बार नहीं है कि जब विपक्ष केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया है। इससे पहले भी विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव लाया था। बता दें कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में ऐसा पहली बार है जब सरकार के खिलाफ विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लेकर आ रहा है। बता दें कि लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ 20 जुलाई 2018 को पहला अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था।