नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। संसद के मॉनसून सत्र का आज 5वां दिन है। मानसून सत्र के दौरान आज संसद में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच भारी गतिरोध देखने को मिल रहा है। इस बीच 26 विपक्षी दलों के गठबंधन 'इंडिया' ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को नोटिस दिया है। इसके अलावा बीआरएस पार्टी द्वारा भी मणिपुर मुद्दे पर सरकार को अलग से अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया गया है। लोकसभा स्पीकर ने कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई के द्वारा दिए गए अविश्वास प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। लोकसभा स्पीकर ने कहा है कि इस पर चर्चा के लिए वक्त और तारीख बाद में तय किया जाएगा।
पीएम को मणिपुर मुद्दे पर बयान देना चाहिए- नीतीश कुमार
अविश्वास प्रस्ताव लाने के फैसले पर कांग्रेस का कहना है कि सरकार के ऊपर से लोगों का भरोसा टूट रहा है। हम चाहते हैं कि पीएम मोदी मणिपुर पर बोले, लेकिन वे बात नहीं सुनते, ऐसे में हमने ये काम किया है। लोकसभा में विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री को इसपर (मणिपुर मुद्दे) बयान देना चाहिए। वे (प्रधानमंत्री मोदी) सब दिन गायब रहते हैं। मणिपुर में जो भी घटना हो रही हैं, विपक्ष एकजुट होकर इस मुद्दे को उठा रहा है।
लोकसभा दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित
आपको बता दें मणिपुर में हिंसा के मुद्दे पर मॉनसून सत्र में हंगामा जारी है। विपक्ष इस मुद्दे पर पीएम मोदी के सदन में बयान और विस्तृत चर्चा की मांग कर रहा है। जबकि सरकार गृहमंत्री अमित शाह के जवाब के साथ अल्पकालिक चर्चा के लिए तैयार है। लेकिन विपक्ष इस मुद्दे पर पीएम मोदी के बयान पर अड़ा है। ऐसे में संसद के दोनों सदनों में सरकार और विपक्ष के बीच लगातार गतिरोध बना हुआ है। विपक्षी सांसदों की नारेबाजी के बीच लोकसभा दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है।
विपक्षी पार्टियों के पास नही है आंकड़ा
गौरतलब है कि मोदी सरकार के पस सदन में बहुमत का अकड़ा है। ऐसे में ये साफ है कि विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव सफल नही हो सकता। तो अब सवाल यह उठता है कि पूर्ण बहुमत की मोदी सरकार होने के बावजूद विपक्ष यह अविश्वास प्रस्ताव क्यों ला रहा है? इसके पीछे की वजह क्या है? हलंकि विपक्षी पार्टियों का यह मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मणिपुर के मामले पर सदन में कोई जवाब नहीं दे रहे हैं लेकिन जब अविश्वास प्रस्ताव लाया जएगा तब प्रधानमंत्री को इस पर सदन के अंदर जवाब देना होगा। यही वजह है कि सभी विपक्षी पार्टियां यह जानती हुए कि उनके पास आंकड़ा नहीं है। बावजूद इसके यह प्रस्ताव लोकसभा में लाया जा रहा है।