झारखंड की मौजूद राजनीतिक परिस्थितियों के मद्देनजर वेबसीरीज महारानी पर आधारित यह तस्वीर तैयार की गई है। इसमें सीएम हेमंत सोरेन, उनकी पत्नी कल्पना (सीएम बनने की संभावना) और ईडी के डायरेक्टर संजय कुमार मिश्रा है।
झारखंड की मौजूद राजनीतिक परिस्थितियों के मद्देनजर वेबसीरीज महारानी पर आधारित यह तस्वीर तैयार की गई है। इसमें सीएम हेमंत सोरेन, उनकी पत्नी कल्पना (सीएम बनने की संभावना) और ईडी के डायरेक्टर संजय कुमार मिश्रा है।  रफ्तार।
झारखंड

Hemant Soren जेल गए तो पत्नी कल्पना बनेंगी CM! जानें क्या है नियम, Bihar में Lalu ने Rabri को सौंपी थी गद्दी

नई दिल्ली, रफ्तार। बिहार की सियासी गरमी ठंडी भी नहीं हुई थी कि पड़ोसी राज्य झारखंड की राजनीति में उबाल आ गई है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने प्रदेश के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के घर से 36 लाख रुपए बरामद किए हैं। एक दिन पहले यानी सोमवार को ईडी ने मुख्यमंत्री आवास से बीएमडब्ल्यू कार जब्त की थी। ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि हेमंत सोरेन को ईडी गिरफ्तार कर सकती है। ईडी द्वारा कार्रवाई शुरू किए जाने के बादि हेमंत 42 घंटे तक रांची में नहीं थे। आज दोपहर अचानक वह पहुंचे और विधायक दल की बैठक बुलाई। राजनीतिक बैठकों से दूर रहने वाली उनकी पत्नी कल्पना सोरेन भी इस बैठक में मौजूद थीं। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि हेमंत अपनी पत्नी को झारखंड का मुख्यमंत्री बना सकते हैं। माइक्रो ब्लॉगिंग वेबसाइट एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें हेमंत विधायक दल की बैठक के बाद मंत्रियों, विधायकों के गले मिल रहा। वहीं, अपने से वरिष्ठ नेताओं का पैर भी छू रहे हैं।

किस नियम से कल्पना बनेंगी मुख्यमंत्री

देश के संविधान के अनुच्छेद 164 में प्रदेश के मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद की नियुक्ति से संबंधित नियम हैं। अनुच्छेद 164 बताता है कि मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करेंगे। फिर मुख्यमंत्री की सलाह पर राज्यपाल बाकी मंत्रियों की नियुक्ति करेंगे। राज्य मंत्रिपरिषद प्रदेश की विधानसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होगा। किसी मंत्री द्वारा पद ग्रहण करने से पहले राज्यपाल उसको पद की एवं गोपनीयता की शपथ दिलाएंगे। मंत्री निरंतर छह महीने तक विधान मंडल का सदस्य नहीं है तो उस अवधि की समाप्ति पर मंत्री का कार्यकाल भी समाप्त हो जाएगा।

राज्यपाल अपने मन से किसी को सीएम नहीं बना सकते

सरल भाषा में बताएं तो अनुच्छेद 164 (1) के अनुसार सीएम की नियुक्ति राज्यपाल करता है, लेकिन राज्यपाल अपने मनमुताबिक किसी को भी मुख्यमंत्री नियुक्त नहीं करता। चुनाव बाद राज्यपाल बहुमत पाने वाली पार्टी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करता है। जीते उम्मीदवार चुनते हैं कि प्रदेश का मुख्यमंत्री कौन होगा।

लालू की पत्नी राबड़ी ऐसे बनी थीं मुख्यमंत्री

26 साल पहले जुलाई 1997 में बिहार में ऐसा ही राजनीतिक घटनाक्रम दिखा था। जनता दल के अध्यक्ष एवं तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने उन्होंने पत्नी राबड़ी देवी को बिहार का नया मुख्यमंत्री घोषित किया था। उससे पहले राबड़ी की पहचान केवल लालू की पत्नी के रूप में थी। पांचवीं क्लास तक पढ़ी राबड़ी ने कोई चुनाव नहीं लड़ा था। इसके बावजूद उन्हें देश के सबसे बड़े राज्यों में शुमार बिहार का मुख्यमंत्री बना दिया था। यह संविधान के अनुच्छेद 164 से मुमकिन हुआ था।

चुनाव हारकर भी ममता बनर्जी बनीं मुख्यमंत्री

राज्य की विधानसभा का सदस्य नहीं होकर भी किसी को मंत्री बनाया जा सकता है। ताजा उदाहरण पश्चिम बंगाल के साल 2021 चुनाव में दिखा था। चुनाव में टीएमसी अध्यक्ष ममता बनर्जी नंदीग्राम सीट से चुनाव हारी थीं। वैसे, उनकी पार्टी चुनाव में बहुमत पा ली थी। चुनाव बाद ममता ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। वैसे, फिलहाल ममता को अनुच्छेद 164 (4) के तहत 6 महीने में चुनाव जीतकर विधानमंडल का हिस्सा बनना था। इसके लिए मई में कृषि मंत्री शोभनदेब चट्टोपाध्याय ने भबनीपुर सीट खाली की थी, जहां से ममता बनर्जी के लिए उपचुनाव लड़कर विधानसभा जाने का रास्ता साफ हुआ। ममता उपचुनाव जीती और मुख्यमंत्री पद पर कायम रहीं।

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