भारत का पारंपरिक खेल कबड्डी अब अंतरराष्ट्रीय प्लेटफॉर्म पर सबसे पसंदीदा खेल, जानें खेल के नियम

कबड्डी के इतिहास को लेकर भारत में इसकी प्राचीनता को वैदिक काल से जोड़ा जाता है और माना जाता है कि इस खेल की शुरुआत भारत में हुई। इस खेल को पहली बार वर्ष 1936 में बर्लिन ओलिंपिक में शामिल किया गया था।
khelo india youth games
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भोपाल, एजेंसी। कबड्डी एक ऐसा भारतीय खेल है, जिसे हर गली-मोहल्ले में बच्चों द्वारा खेलते हुए देखा जा सकता है। कबड्डी नाम का प्रयोग प्राय: उत्तर भारत में किया जाता है। कबड्डी के इतिहास को लेकर भारत में इसकी प्राचीनता को वैदिक काल से जोड़ा जाता है और माना जाता है कि इस खेल की शुरुआत भारत में हुई। भारत में क्रिकेट बहुत लोकप्रिय है, लेकिन वर्तमान में कबड्डी एक ऐसा पारंपरिक खेल है जिसने अंतराष्ट्रीय प्लेटफॉर्म पर अपनी पहचान बनाई है।

 पहली बार वर्ष 1936 में बर्लिन ओलिंपिक में शामिल किया गया

इस खेल को पहली बार वर्ष 1936 में बर्लिन ओलिंपिक में शामिल किया गया था। कबड्डी वर्ल्ड कप की शुरूआत वर्ष 2004 में की गई थी। आईपीएल क्रिकेट की तर्ज पर वर्ष 2014 में कबड्डी लीग खेला गया। इस खेल के अंतरराष्ट्रीय प्रारूप में दो टीमों के 7 खिलाड़ी आपस में भिड़ते हैं और जिसके भी ज्यादा अंक होते हैं, वो विजयी होता है। पुरुषों के मैच में फील्ड का आकर 10x13 m होता है, वहीं महिलाओं के लिए ये 8x12 m होता है। हर टीम के पास तीन रिज़र्व खिलाड़ी होते हैं, जिनका इस्तेमाल परिस्थिति के हिसाब से किया जाता है। खेल का हर एक हाफ 20 मिनट का होता है और हाफ टाइम के 5 मिनट के ब्रेक के बाद टीमें साइड बदल लेती हैं।

 कुछ इस तरह होते हैं नियम

हर टीम अपना रेडर दूसरी टीम के हाफ में भेजती है। रेडर को पॉइंट जीतने के लिए अपनी साँस को थाम कर रखते हुए विरोधी टीम के अधिक से अधिक खिलाडियों को छूना होता है और फिर बिना साँस लिए अपने हाफ में आना होता है। रेडर को रेड के दौरान 'कबड्डी-कबड्डी' बोलना होता है, जिससे कि रेफरी को लगे कि वो एक ही साँस में रेड कर रहा है। रेडर अगर साँस बाहर छोड़ता है या अपने हाफ में आने में असफल रहता है, तो उसे बाहर कर दिया जाता है। विरोधी टीम के उन खिलाड़ियों को भी बाहर किया जाता है, जो टैग होने के बाद उस रेडर को अपने हाफ में जाने से नहीं रोक पाते। डिफेंडर्स का यही काम होता है कि वो किसी भी तरह से रेडर को पछाड़ सकें। डिफेंडर्स को सेंट्रल लाइन पार करने की अनुमति नहीं होती, ठीक उसी तरह रेडर को बाउंड्री लाइन पार करने की अनुमति नहीं होती। हालाँकि एक बोनस लाइन भी होती है, जिसे छूकर अगर रेडर अपने हाफ में लौट आता है तो उसे बोनस पॉइंट्स मिलते हैं।जिन खिलाड़ियों को रेफरी द्वारा बाहर किया जाता है वो कुछ देर मैच में नहीं होते। एक प्लेयर के आउट होने पर एक पॉइंट मिलता है और अगर पूरी टीम बाहर हो जाए तो दूसरी टीम को 3 बोनस पॉइंट मिलते हैं। खेल के अंत में जिस टीम के सबसे अधिक पॉइंट्स होते हैं, वो विजयी होती है।

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