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नई शिक्षा नीति की मूल भावना को दर्शाती है एनआईओएस की पाठ्यक्रम सामग्री : पोखरियाल

नई दिल्ली, 02 मार्च (हि.स.)। केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने मंगलवार को राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) के भारतीय ज्ञान परम्परा पाठ्यक्रमों की अध्ययन सामग्री जारी करते हुए कहा कि यह नई शिक्षा नीति की मूल भावना को दर्शाती है। एनआईओएस ने ओपन बेसिक एजुकेशन प्रोग्राम के तीनों स्तरों अर्थात पहली से आठवीं कक्षा तक के लिए संस्कृत में पढ़ाई के लिए भारतीय ज्ञान परंपरा के 15 पाठ्यक्रम तैयार किए हैं। इसमें वेद, योग, विज्ञान, व्यावसायिक कौशल और संस्कृत भाषा के विषय संस्कृत में, हिंदी और अंग्रेजी माध्यम में हैं। ये पाठ्यक्रम कक्षा 3, 5 और 8 के बराबर हैं। इससे समाज के एक बड़े वर्ग को फायदा होगा। इस अवसर पर बोलते हुए पोखरियाल ने कहा कि एनआईओएस पहले से ही भारत और विदेशों में भारतीय ज्ञान परंपरा के प्रसार के लिए प्रयास कर रहा है। उन्होंने बताया कि वैदिक अध्ययन, संस्कृत व्याकरण, भारतीय दर्शन, संस्कृत साहित्य और संस्कृत भाषा के पाठ्यक्रम "भारतीय ज्ञान परंपरा" के आधार पर एनआईओएस द्वारा माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर के लिए तैयार किए गए हैं और उनके अध्ययन सामग्री संस्कृत और हिंदी भाषा में शिक्षार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि इनका अंग्रेजी माध्यम में अनुवाद भी किया जा रहा है और आगे भी इन सभी विषयों को प्रमुख विदेशी भाषाओं में तैयार करने की योजना बनाई जा रही है ताकि विदेशों में भारतीय संस्कृति और ज्ञान परंपरा को बढ़ावा दिया जा सके। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति-2020 भी शिक्षार्थी के आंतरिक स्व के साथ-साथ हमारे प्राचीन ज्ञान, कौशल और मूल्यों की स्थापना में भारतीयता के प्रति गौरव की भावना के निर्माण पर जोर देती है। पोखरियाल ने कहा कि एनआईओएस द्वारा तैयार यह पाठ्यक्रम सामग्री नई शिक्षा नीति की मूल भावना को दर्शाती है और एनआईओएस ने भारतीय संस्कृति, विरासत, दर्शन और प्राचीन ज्ञान को आधुनिक संदर्भों के साथ नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए जो प्रयास किया है, वह एक मील का पत्थर साबित होगा। एनआईओएस माध्यमिक, वरिष्ठ माध्यमिक स्तर और व्यावसायिक प्रशिक्षण के क्षेत्र में मुक्त और दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से स्कूली शिक्षा प्रदान करता है। एनआईओएस का पाठ्यक्रम राष्ट्रीय और अन्य राज्य स्तरीय स्कूल शिक्षा बोर्डों के अध्ययन के पाठ्यक्रम के अनुरूप है। एनआईओएस ने भारतीय ज्ञान परंपरा के 15 पाठ्यक्रम तैयार किए हैं जैसे कि वेद, योग, विज्ञान, व्यावसायिक कौशल और संस्कृत भाषा के विषय संस्कृत, हिंदी और अंग्रेजी माध्यम में बेसिक बेसिक एजुकेशन प्रोग्राम के तीनों स्तरों पर। ये पाठ्यक्रम कक्षा 3, 5 और 8 के बराबर हैं। इससे समाज के एक बड़े वर्ग को फायदा होगा। इन पाठ्यक्रमों के अंतर्गत वेदों के विषय में रामायण महाकाव्य कथाओं, भगवद गीता के उपदेशों, पाणिनि महेश्वरा सूत्र, समरसता श्लोक संग्रह, एकात्मस्तोत्र, कई वैदिक भजन, विष्णुशत्रुम स्तोत्र, भृगुवल्ली, लल्लीशतनामा स्तोत्र जैसे विषयों को शामिल किया है। थियोगा पतंजलि कृतसूत्र, योगसूत्र व्यायाम, सूर्य नमस्कार, आसन और गतिविधियाँ, प्राणायाम, यम, नियम, हठ योग, विश्राम अभ्यास, क्रोध प्रबंधन अभ्यास, एकाग्रता और स्मृति वृद्धि अभ्यास के कुछ वर्गों की रूपरेखा प्रस्तुत करता है। व्यावसायिक कौशल पाठ्यक्रमों में प्राचीन भारतीय संस्कृति के विभिन्न कुशल तरीकों को दिखाया गया है जैसे कि पौधों को पानी देना, गाय पालन, गौशालाओं की सफाई और स्वच्छता, उद्यान देखभाल, सिलाई और कटाई, सब्जी सेवा, जैविक खेती, नवग्रह वन, विभिन्न कौशल से संबंधित विषय दैनिक जीवन से संबंधित जैसे कि बिस्तर बनाना, खेत के लिए बायोमेट्रिक्स का निर्माण, दैनिक जीवन में आयुर्वेद का उपयोग, खाना पकाने और परोसने के तरीके शामिल किए गए हैं। विज्ञान के विषय में, वेदों में जल, वायु, वनस्पति और भूमि संरक्षण, सृष्टि की उत्पत्ति, पंचमभुत, पृथ्वी और प्राकृतिक संसाधनों जैसे विषयों के साथ आधुनिक विज्ञान की नई अवधारणाओं का भी उल्लेख किया गया है। इस समारोह में शिक्षा मंत्रालय, एनआईओएस, विभागाध्यक्षों और विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के प्रमुखों ने भाग लिया। हिन्दुस्थान समाचार/सुशील

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