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लखीमपुर खीरी हिंसा : प्रियंका हिरासत में, विपक्षी नेता नजरबंद, मृतकों की संख्या 8 हुई

लखनऊ, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के हरगांव से उस वक्त हिरासत में ले लिया लिया गया है, जब वह लखीमपुर खीरी जा रही थीं। यहां रविवार को हुई हिंसा में आठ लोगों की मौत हो गई है। रविवार की घटना के बाद अन्य विपक्षी नेताओं को भी लखीमपुर खीरी की ओर जाने से रोका जा रहा है। प्रियंका गांधी के काफिले को लखनऊ में रोका गया और पुलिस ने कौल हाउस को घेर लिया, जहां वह अपनी लखनऊ यात्राओं के दौरान ठहरती हैं। हालांकि, प्रियंका पुलिस को चकमा देने में कामयाब रही और साइड गेट से अपने आवास से बाहर चली गई और थोड़ी दूरी के बाद, वह एक वेटिंग कार में बैठ गई और कांग्रेस नेता दीपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ लखीमपुर खीरी के लिए रवाना हो गई। सोमवार की सुबह करीब छह बजे जैसे ही प्रियंका सीतापुर जिले के हरगांव पहुंची तो उन्हें रोक लिया गया। महिला कांस्टेबल से हाथापाई के बाद प्रियंका ने गिरफ्तारी वारंट देखने की मांग की। पुलिस कर्मियों ने उन्हें हिरासत में ले लिया और उन्हें जिले के पीएसी कार्यालय ले जाया गया। प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, मैं घर से बाहर कदम रखकर कोई अपराध नहीं कर रही हूं। मैं सिर्फ पीड़ित परिवारों से मिलना चाहती हूं और उनका दुख बांटना चाहती हूं। मैं क्या गलत कर रही हूं? और अगर मैंने कुछ गलत किया है, तो आप (यूपी पुलिस) के पास आदेश और वारंट होना चाहिए। आप (यूपी पुलिस) मुझे, मेरी कार को रोक रहे हैं, लेकिन किस कारण से? प्रियंका के साथ आए कांग्रेस नेताओं ने उनकी गिरफ्तारी के विरोध में हंगामा कर धरना दिया। यूपीसीसी अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि प्रियंका को हिरासत में लेने से उन्होंने साबित कर दिया कि राजनीतिक व्यवस्था में लोकतंत्र नहीं बचा है। उन्होंने कहा, हमें विरोध करने का अधिकार है और हम इस तरह के दमनकारी कदमों से डरने वाले नहीं हैं। रविवार की हिंसा में मरने वालों की संख्या आठ हो गई है और भाजपा ने दावा किया कि मृतकों में एक ड्राइवर और तीन भाजपा कार्यकर्ता शामिल हैं। बहुजन समाज पार्टी के सांसद सतीश चंद्र मिश्रा को तड़के 3 बजे लखनऊ में अपने घर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं दी गई, जब उन्होंने लखीमपुर खीरी की ओर बढ़ने की कोशिश की। मिश्रा ने एक लिखित आदेश की मांग की जिसके तहत उन्हें उनके घर से बाहर जाने नहीं दिया गया। बसपा महासचिव ने कहा, हम लखीमपुर खीरी जाना चाहते हैं। हमें वहां कानून-व्यवस्था की गड़बड़ी का हवाला देते हुए जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है। हम लिखित आदेश की मांग करते हैं अगर वे हमें नजरबंद करना चाहते हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस ने ट्वीट किया कि लखीमपुर खीरी में स्थिति नियंत्रण में है और किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए पर्याप्त बल की तैनाती की गई है। इस बीच, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार देर रात जारी एक बयान में कहा कि वह अपने राज्य में हुई हिंसा से दुखी हैं, जिसमें चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत हो गई। उन्होंने जांच के बाद जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का वादा किया और शांति बनाए रखने की अपील की। बीकेयू नेता राकेश टिकैत के काफिले को भी लखीमपुर खीरी के रास्ते में रोका गया। वह पीलीभीत जिले के पूरनपुर पहुंचे हैं। टिकैत ने कहा कि वह बाद में दिन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे। उन्होंने कहा कि रविवार की घटनाओं के विरोध में बीकेयू सोमवार को सभी जिला मुख्यालयों पर धरना प्रदर्शन करेगा। भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर रावण के काफिले को सीतापुर के खैराबाद के पास रोका गया। उन्हें सीतापुर पुलिस लाइन में हिरासत में लिया गया है। आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को रविवार और सोमवार की दरमियानी रात को लखीमपुर खीरी जाते समय सीतापुर में रोक दिया गया। जिले के लहरपुर इलाके में वाहनों की चेकिंग के दौरान उन्हें रोका गया। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, राष्ट्रीय लोक दल प्रमुख जयंत चौधरी और पूर्व मंत्री ओम प्रकाश राजभर सोमवार को लखीमपुर खीरी के लिए रवाना होने वाले हैं। उनके आवासों के बाहर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, जिन्होंने नाम न छापने की शर्त पर आईएएनएस से बात की। उन्होंने कहा, हम किसी भी राजनीतिक नेता को लखीमपुर खीरी जाने और स्थिति को खराब करने की अनुमति नहीं देंगे। हम तनाव को कम करने और स्थिति को सामान्य करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। हम इस स्थिति में कुछ नेताओं को राजनीतिक लाभ लेने की अनुमति नहीं दे सकते हैं। --आईएएनएस एसएस/आरएचए

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