kamakshi-who-gave-cybercrime-training-to-thousands-of-policemen-entered-the-world-book-of-records
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हजारों पुलिसकर्मियों को साइबर क्राइम ट्रेनिंग देने वाली कामाक्षी का नाम वल्र्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज

नई दिल्ली, 28 जून (आईएएनएस) । साइबर क्राइम की रोकथाम करने के लिए गाजियाबाद की बेटी ने कमर कस ली है। यदि कोई अब ऑनलाइन फ्रॉड, या लड़कियों को परेशान करने जैसी हरकत करता है तो वह सावधान हो जाए क्योंकि कामाक्षी शर्मा आपको ढूंढ सलाखों के पीछे भिजवा सकती है। गाजियाबाद निवासी 25 वर्षीय कामाक्षी शर्मा ने साइबर क्राइम की रोकथाम के लिए लोगों को जागरूक करना और 50 हजार पुलिस कर्मियों को प्रशिक्षण देने में अपना नाम वल्र्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज करा लिया है। कॉलेज के दिनों में मस्ति में दोस्तों की आईडी हैक करने के शौक को उन्होंने इसे अपने प्रोफेशन में तब्दील कर दिया और अब वह लोगों को साइबर क्राइम की ट्रेनिंग दे रहीं हैं। वहीं वल्र्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराने के बाद गाजियाबाद की बेटी दुनियाभर में छा गईं हैं। दरअसल कोरोना महामारी के दौरान ज्यादा तर लोग अपने घरों से ही काम कर रहें है। ऐसे में साइबर बुलिंग काफी तेजी से बढ़ा। लड़कियों की तस्वीरों को गलत इस्तेमाल करना, लोगों के अकाउंट से लाखों लाखो रुपये की धोखा धड़ी होने लगी है। कामाक्षी ने 2019 में जम्मू से लेकर कन्याकुमारी तक 35 दिनों का एक मिशन पूरा किया जिसमें पुलिस कर्मियों को साइबर क्राइम से कैसे निपटा जाए इसका परीक्षण दिया। इस परीक्षण में आईपीएस अफसर भी शामिल हुए थे। कामाक्षी का मानना है कि जब हैकर हैक कर धोखा धड़ी सकते है तो पुलिस उन्हें पकड़ क्यों नहीं सकती ? यही सोच कर मैंने अपनी हैकिंग को इन्वेस्टिगेशन में बदल दिया और पुलिस अधिकारियों के साथ काम शुरू कर दिया। कामाक्षी ने आईएएनएस को बताया कि, 2017 में बीटेक करने के दौरान उनको हैकिंग करने का शौक चढ़ा, उनके मित्र उनसे अपने ही दोस्तों की आईडी हैक कराते थे। कॉलेज में सभी मुझे पहचानने लगे थे की मैं हैकिंग करती हूं, वहीं धीरे धीरे मैंने इसकी1 ट्रेनिंग को मजबूत कर दिया। 2017 में ही मुझे कुछ पुलिस अधिकारियों ने संपर्क किया, फोन ट्रेस करना, आईपी एड्रेस पता करने में पुलिस विभाग मुझसे मदद लेने लगा , वहीं से धीरे धीरे संपर्क आगे बढ़ते गए। सभी अधिकारियों की मदद और मेरे काम को देखते हुए 2019 में वल्र्ड का फस्र्ट साइबर मिशन पूरा किया। इस मिशन में जम्मू से लेकर कन्याकुमारी तक पुलिस कर्मियों को परीक्षण दिया। ये 35 दिन का मिशन रहा, इसमें 30 से अधिक शहरों में जाकर करीब 50 हजार पुलिस कर्मियों को क्राइम इन्वेस्टिगेशन के ऊपर ट्रेनिंग दी थी। यह मिशन सितंबर 2019 से अक्टूबर तक चला वहीं जम्मू से पंजाब, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र होते हुए 13 अक्तूबर को कन्याकुमारी में खत्म हुई। उन्होंने बताया कि, इसके अलावा विभिन्न इन्वेस्टिगेशन एजेंसियों के साथ काम करती हूं, वहीं आर्मी, एयर फोर्स के साथ भी फ्रीलैंस जुड़ी हुईं हूं। साथ ही ये सभी केसेस आने पर मुझसे संपर्क करते हैं। हालांकि कामाक्षी का नाम इससे पहले इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड और एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज किया जा चुका है। साइबर क्राइम के विषय में एक्सपर्ट होने की वजह से उनकी पुलिस कर्मियों के साथ ट्रेनिंग भी चल रही है। कामाक्षी का भविष्य में सपना है कि वह ऐसा प्लेटफार्म बनाए जहां पर देशभर नहीं बल्कि विदेश की भी पुलिस जुड़ी हो और साइबर क्राइम को रोकने के लिए हर चीज उस प्लेटफार्म पर अवेलेबल हो, इसके अलावा हर किसी क्राइम का ट्रैक रिकॉर्ड रख सकें। उनके मुताबिक यदि सरकार उनका सहयोग करें तो वो इसपर काम करना चाहेंगी वहीं उनका मानना है कि ऐसा करने के से हम ऑनलाइन ठगी और लड़कियों के साथ हो रहे धोका धड़ी को कम कर सकेंगे। वहीं ऑनलाइन चोरों से एक कदम आगे रहे सकते हैं। इस मिशन में कामाक्षी का सहयोग करने वाले दिल्ली पुलिस एसीपी राजपाल डबास ने आईएएनएस को बताया कि, हमारे एक साथ विनोद पांडेय जो गाजियाबाद में सब इंस्पेक्टर रहे चुकें है और साइबर सेल देखते है यह उनके संपर्क में ही आई थी। बीते साल मैं सब इंस्पेक्टर था उस वक्त हमने इनके परिवार से और इनसे बात की तो हमें एहसास हुआ कि लड़की में दम है। हमने इनके मिशन के लिए रूट बनाया, प्लान बनाया और जम्मू से इस मिशन का शुरूआत की। इस मिशन में पुलिसकर्मियों के अलावा स्कूली बच्चों को ट्रेन किया। नोएडा पुलिस के साइबर सेल विभाग में इंस्पेक्टर की पद पर तैनात विनोद कुमार पांडेय ने आईएएनएस को बताया कि, 2017 मेंगाजियाबाद जिले एक थाने में तैनात था, उस वक्त कामाक्षी से मुलाकात हुई, उस दौरान इन्होंने मुझे अपना विशन बताया। कामाक्षी अपनी उम्र की लड़कियों को साइबर क्राइम से बचाना चाहती थी। हमने शुरूआत में स्कूली छात्रों के लिए इनका अभियान चलवाया जिससे काफी लड़कियां प्रभावित हुई। इसके बाद कामाक्षी ने एक्टिव रोल करने की इच्छा जाहिर की साइबर क्राइम में। हमने अपनी टीम के साथ लगाकर इसे ट्रेन किया। हुनर और जज्बा होने के कारण औ? सॉफ्टवेयर की ज्यादा जानकरी होने के चलते कामाक्षी में ट्रेनिंग जल्द पूरी कर पुलिस विभाग की मदद करना शुरू की। इतना ही नहीं जिन आईपी एड्रेस को पता लगाने में महीने लग जाते थे उन्हें ये तुरन्त ट्रेस कर देती थी। उन्होंने उम्मीद जताई कि, कामाक्षी की तरह यदि अन्य लड़कियां जो की साइबर क्राइम के रोकथाम करने के लिए काम करना चाहती है वह आगे बढ़े और देश का रोशन करें। विनोद पांडेय का मानना है कि, भविष्य इन जैसे बच्चों की जरूरत होगी, पुलिस विभाग इनकी मदद से तुरन्त मामले सुल्जाएँगे और क्राइम में रोकने में मदद लेंगे। -- आईएएनएस एमएसके/जेएनएस

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