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ज्ञानवापी विवाद: दीवानी वाद के गुण-दोष पर वाराणसी की अदालत में 26 मई को होगी सुनवाई

वाराणसी, 24 मई (आईएएनएस)। ज्ञानवापी मामले में सभी को फैसले का इंतजार है और वाराणसी की एक अदालत 26 मई को दीवानी मुकदमे के गुण-दोष पर सुनवाई करेगी और ज्ञानवापी मस्जिद-काशी विश्वनाथ मंदिर विवाद में मुस्लिम पक्ष की आपत्तियों पर सुनवाई करेगी। अदालत मुस्लिम पक्ष द्वारा ऑर्डर 7, रूल 11 के आवेदन पर सुनवाई करेगी, जिसमें हिंदू पक्ष के दीवानी मुकदमे को खारिज करने की मांग की गई है। मामले में सुनवाई की प्रक्रिया गुरुवार (26 मई) से शुरू होगी। अदालत ने दोनों पक्षों को एक सप्ताह के भीतर सर्वेक्षण रिपोर्ट पर अपनी आपत्ति के साथ हलफनामा दाखिल करने का भी आदेश दिया। मस्जिद समिति का कहना है कि मस्जिद में फिल्मांकन 1991 के एक कानून का उल्लंघन है जो देश में किसी भी पूजा स्थल के चरित्र को बदलने से रोकता है। यह पक्ष चाहता है कि पहले गुण-दोष (मेंटेनेबिलिटी) मामले की सुनवाई हो, जिस पर अदालत ने सहमति जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी की अदालत से प्राथमिकता के आधार पर फैसला करने को कहा था कि ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वेक्षण और जिस याचिका के कारण सर्वेक्षण किया गया वह गुण-दोष के आधार पर योग्य है या नहीं। मस्जिद समिति के वकील अभय नाथ यादव ने कहा, मैंने अदालत से कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि हमारे आवेदन पर पहले सुनवाई होनी चाहिए, जिसमें कहा गया है कि मामला सुनवाई योग्य नहीं है। मैंने अपना आवेदन और सर्वोच्च न्यायालय का आदेश भी पढ़ा। दूसरे पक्ष के वकील ने कहा कि उन्हें हमारे आवेदन पर आपत्ति दर्ज करने के लिए और दस्तावेजों और समय की जरूरत है, लेकिन मैंने कहा कि पहले गुण-दोष का फैसला किया जाना चाहिए। अदालत ने यह भी कहा कि दोनों पक्षों को वीडियो सर्वेक्षण की प्रतियां दी जाएं और अपनी आपत्तियां दर्ज करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया जाए। पिछले हफ्ते की शुरुआत में, हिंदू याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों ने दावा किया था कि ज्ञानवापी मस्जिद-श्रंगार गौरी परिसर के वीडियोग्राफी सर्वेक्षण के दौरान एक शिवलिंग पाया गया है। हालांकि मस्जिद समिति के सदस्यों ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि यह वुजुखाना जलाशय में पानी का एक फव्वारा है। शिवलिंग वुजू करने वाले स्थान पर पाया गया था, जिसका उपयोग मुस्लिम श्रद्धालुओं द्वारा नमाज अदा करने से पहले हाथ-मुंह धोने के लिए किया जाता रहा है। जिला अदालत ने तब वुजुखाना को सील करने का आदेश दिया था। यह आवेदन इस बात से संबंधित है कि क्या पांच हिंदू याचिकाकर्ताओं द्वारा मांगी गई राहतें अदालत द्वारा दी जा सकती हैं। मुस्लिम पक्ष से यह तर्क देने की अपेक्षा की जा रही है कि यह मुकदमा 1991 के प्रार्थना स्थल अधिनियम को देखते हुए सही नहीं है। 26 मई से इस मामले की रोजाना सुनवाई होगी या नहीं इस पर अभी कोई विशेष आदेश नहीं आया है। हालांकि यह स्पष्ट हो गया है कि प्रारंभिक बहस 26 मई से शुरू होगी। जिला न्यायाधीश डॉ ए. के. विश्वेश ने आयोग द्वारा दाखिल ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे रिपोर्ट पर भी दोनों पक्षों से उनकी आपत्ति मांगी है। इससे पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 2019 में याचिकाकर्ताओं द्वारा अनुरोध किए गए एएसआई सर्वेक्षण पर रोक लगाने का आदेश दिया था। वर्तमान विवाद तब शुरू हुआ, जब पांच हिंदू महिलाओं ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के भीतर श्रृंगार गौरी और अन्य मूर्तियों की नियमित पूजा करने की मांग की। पिछले महीने, वाराणसी की एक अदालत ने पांच हिंदू महिलाओं द्वारा परिसर की पश्चिमी दीवार के पीछे पूजा करने की याचिका दायर करने के बाद ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के वीडियोग्राफी सर्वेक्षण का आदेश दिया था। --आईएएनएस एकेके/एएनएम

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