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Gyan Ganga: आखिर क्यों प्रभु श्रीराम के नाम से बड़ा है उनका नाम?
सच्चिदानंद रूपाय विश्वोत्पत्यादिहेतवे ! तापत्रयविनाशाय श्रीकृष्णाय वयंनुम:॥ प्रभासाक्षी के श्रद्धेय पाठकों ! आज-कल हम पवित्र श्रीमद्भागवत महापुराण के अंतर्गत आठवें स्कन्द की कथा श्रवण कर रहे हैं। पिछले अंक में हम सबने समुद्र-मंथन कथा के अंतर्गत पढ़ा कि समुद्र-मंथन से जब कालकूट विषाग्नि के रूप में हला-हल जहर निकला तब क्लिक »-www.prabhasakshi.com