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पाकिस्तानी अखबारों सेः इजराइल में 12 साल बाद सत्ता से नेतन्याहू की बेदखली को दी प्रमुखता

- बजट पर विपक्ष के एकजुट होने और महंगाई बढ़ने की खबरों को भी मिला महत्व नई दिल्ली, 14 जून (हि.स.)। पाकिस्तान से सोमवार को प्रकाशित अधिकांश समाचारपत्रों ने इजराइल में नेतन्याहू के 12 साल के शासन से हाथ धोने की खबरें काफी प्रमुखता से प्रकाशित की हैं। अखबारों ने लिखा है कि प्रधानमंत्री नेतन्याहू को विपक्षी दलों के गठबंधन ने शिकस्त दे दी है। अखबारों ने लिखा है कि नेतन्याहू इतने लंबे समय तक इजरायल में शासन करने वाले पहले प्रधानमंत्री हैं। अखबारों ने लिखा है कि इस वर्ष अप्रैल-मई में नेतन्याहू काफी सुर्खियों में तब आए जब उन्होंने फलस्तीन में सक्रिय हमास के अड्डों पर बमबारी करने की इजाजत दी थी और मस्जिद-ए-अक्सा में नमाजियों पर इजराइली फौजियों के जरिए की गई फायरिंग के दौरान मारे गए या घायल होने वाले सैकड़ों फलस्तीनियों पर चुप्पी साधे रखी थी। अखबारों ने पाकिस्तान में विपक्षी दलों के जरिए बजट के खिलाफ एकजुट होने और बजट का विरोध किए जाने की खबरें भी दी है। अखबारों ने लिखा है कि विपक्षी दल के दो प्रमुख दलों ने सरकार पर आरोप लगाया है कि बजट में कोई भी ऐसी वस्तु नहीं है जिसपर टैक्स नहीं लगाया गया है। अखबारों ने लिखा है कि इमरान खान सरकार ने पाकिस्तान के आवाम को धोखा दिया है। अखबारों ने ‘‘बजट के आफ्टरशॉक आने शुरू हो गए’ जैसे शीर्षक से खबर भी दी हैं जिसमें बताया गया है कि गेहूं पर टैक्स और चोकर पर सेल टैक्स बढ़ाए जाने के फैसले से एक दिन में आटे की थैली 90 रुपया महंगी होने की खबरें दी हैं। अखबारों ने लिखा है कि मिल मालिकों ने कहा है कि अगर टैक्स वापस नहीं लिया गया तो आटे का दाम और भी महंगा हो जाएगा। अखबारों ने सिंध प्रांत के मुख्यमंत्री पर रबर स्टैंप होने के आरोपों की खबर भी दी है। अखबारों ने लिखा है कि प्रांत की असेंबली के बजाए बिलावल हाउस में सारे मामले तय किए जाते हैं। केंद्र सरकार ने आरोप लगाया है कि प्रांत में 40-ए लागू किया जाना चाहिए। केंद्र का आरोप है कि राज्य का पैसा दुबई और पेरिस में लगाया जा रहा है। यह सभी खबरें रोजनामा पाकिस्तान, रोजनामा खबरें, रोजनामा नवाएवक्त, रोजनामा औसाफ और रोजनामा जंग ने अपने पहले पन्ने पर छापी है। रोजनामा नवाएवक्त ने पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के केस पर विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी का एक बयान छापा है जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि विपक्ष भारत की चाल को समझ नहीं रहा है। उनका कहना है कि भारत चाहता है कि इस मामले को लेकर एक बार फिर से पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय अदालत में खड़ा किया जाए। उनका कहना है कि इस केस को बिगाड़ने में पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज की सरकार ने प्रमुख भूमिका निभाई है। उनका कहना है कि पाकिस्तान इस मामले में अदालत में ट्रायल करके दूध का दूध और पानी का पानी करना चाहता है। रोजनामा जंग ने जम्मू-कश्मीर में चार कश्मीरियों की मौत और उनके जनाजे में हजारों कश्मीरियों के जरिए प्रदर्शन कर आजादी के पक्ष में नारे लगाने से की खबर दी है। अखबार ने लिखा है कि सेना और अर्धसैनिक बलों की फायरिंग से बड़गांव में मंजूर अहमद, बशीर अहमद, वसीम अहमद और शौकत मारे गए थे। जबकि इस घटना में आठ व्यक्ति जख्मी भी हुए थे। अखबार का कहना है कि प्रदर्शन के बाद सेना और अर्धसैनिक बलों ने इलाके को अपने घेरे में लिया था। अखबार ने लिखा है कि जेलों में बन्द कश्मीरी लीडरों पर जुल्म किए जाने की खबरें लगातार आ रही है। हुर्रियत कॉन्फ्रेंस की तरफ से बडगाम में कश्मीरी युवकों के मारे जाने की घटना पर कड़ी निंदा की गई है। रोजनामा खबरें ने पाक अधिकृत कश्मीर के तथाकथित राष्ट्रपति सदार मसूद खान का एक बयान छापा है जिसमें कहा गया है कि कश्मीर में लगातार कश्मीरी नवयुवकों की हत्या किए जाने से भारत की छवि दुनिया के अन्य देशों में खराब हो रही है। उनका कहना है कि दुनिया का इतिहास गवाह है कि स्वतंत्रता आंदोलन को कभी भी जुल्म और बर्बरता से नहीं कुचला जा सका है। उनका कहना है कि तारीख का यह भी सबक है कि इंसाफ मांगने वाली आवाज को ताकत के जरिए खामोश करने वाले देशों को दुनिया अच्छी निगाह से नहीं देखती है। हिन्दुस्थान समाचार/एम ओवैस/मोहम्मद शहजाद

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