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हर साल हिमस्खलन की वजह से सेना के 20 से 25 जवान गंवा देते हैं जान : राजनाथ

नई दिल्ली, 26 अप्रैल (आईएएनएस)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को कहा कि उन्हें यह जानकर दुख हुआ कि हर साल भारतीय सेना के 20 से 25 जवान युद्ध या आतंकवादी घटना में नहीं, बल्कि हिमस्खलन की वजह से अपनी जान गंवा देते हैं। यहां तिरंगा माउंटेन रेस्क्यू (टीएमआर) की एक टीम के साथ बातचीत करते हुए उन्होंने कहा, मुझे यह जानकर बहुत दुख हुआ है कि हर साल हमारी सेना के 20 से 25 जवान इस तरह की दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवाते हैं। इससे ज्यादा दुख की बात क्या हो सकती है। यह, कोई युद्ध नहीं, कोई आतंकवादी घटना नहीं, फिर भी हमारे कई सैनिक हिमस्खलन की वजह से ही अपनी जान गंवा देते हैं। उन्होंने सशस्त्र बलों के जवानों के जीवन को हिमस्खलन जैसे खतरों से बचाने के अलावा जागरूकता बढ़ाने और उन्हें प्रशिक्षण देने के लिए टीएमआर की सराहना की। तिरंगा माउंटेन रेस्क्यू वर्ष 2016 से कार्यरत भारतीय सेना से संबद्ध एक गैर-लाभकारी संगठन है। यह अत्यधिक कुशल और योग्य हिमस्खलन बचाव पेशेवरों की कई टीमें उपलब्ध कराता है, जो सर्दियों के मौसम में बर्फ से ढके तथा कठिन क्षेत्रों में सहायता के लिए तैनात होते हैं। पर्वतीय इलाकों में भारतीय सेना के कर्मियों को समर्पित इन टीमों की हिमस्खलन से बचाव एवं प्रशिक्षण प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। राजनाथ सिंह ने तिरंगा माउंटेन रेस्क्यू को उन सैनिकों के लिए ताकत का स्रोत बताया, जो कठिन क्षेत्रों में तैनात हैं और हिमस्खलन जैसे विभिन्न खतरों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने इस तथ्य की सराहना की कि जिन स्थानों पर इसे तैनात किया गया है, वहां कोई सैनिक हताहत नहीं हुए हैं। रक्षा मंत्री ने बल देकर कहा कि टीएमआर के कंधों पर एक बड़ी जिम्मेदारी है, क्योंकि आने वाले समय में जलवायु परिवर्तन के कारण हिमस्खलन जैसे खतरे बढ़ सकते हैं। रक्षा मंत्री ने टीएमआर द्वारा किए जा रहे कार्यो को सरकार और नागरिक समाज के बीच साझेदारी का एक शानदार उदाहरण बताया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एक राष्ट्र विकास के पथ पर तभी आगे बढ़ता है जब सरकार और नागरिक समाज मिलकर कार्य करते हैं। सिंह ने कहा कि सरकार और नागरिक समाज वे पहिए हैं, जिन पर चलकर देश चहुंमुखी सतत विकास के लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। --आईएएनएस एकेके/एसजीके

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