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आदिवासी और वनवासी समुदाय का विकास जरूरी : कोविन्द

- राष्ट्रपति ने नव निर्मित छात्रावास और भोजनालय का किया लोकार्पण - वनवासियों ने परंपरागत लोक नृत्य से किया राष्ट्रपति का स्वागत सोनभद्र /वाराणसी, 14 मार्च (हि.स.)। राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने कहा कि आदिवासी और वनवासी समुदाय के विकास के बिना देश के समग्र विकास की कल्पना नहीं की जा सकती। हमारा यह प्रयास होना चाहिए कि आधुनिक विकास में सभी वनवासी भाई-बहनों की भी भागीदारी हो। साथ ही इनका सांस्कृतिक विरासत और पहचान भी संरक्षित और मजबूत बनी रहे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द रविवार को सोनभद्र बभनी के चपकी स्थित अखिल भारतीय बनवासी कल्याण आश्रम से सम्बद्ध सेवा समर्पण संस्थान सेवाकुंज आश्रम में नव निर्मित छात्रावास और भोजनालय का लोकार्पण करने के बाद वनवासी समागम को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सनातन काल से चली आ रही हमारी संस्कृति के मूल तत्व हमारे जनजातीय और वनवासी भाई-बहनों के हाथों में सुरक्षित हैं। मुझे विश्वास है कि हमारे वनवासी भाई-बहनों का जीवन, प्रगति और परंपरा के समन्वय की मिसाल बनेगा। सोनभद्र और आश्रम से जुड़ी स्मृतियों को साझा कर राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे देश की आत्मा, ग्रामीण और वनवासी अंचलों में बसती है। यदि कोई भी भारत की जड़ों से परिचित होना चाहता है, तो उसे सोनभद्र जैसे स्थान में कुछ समय बिताना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि देश भर के हमारे आदिवासी बेटे-बेटियां खेल-कूद, कला, और टेक्नॉलॉजी सहित अनेक क्षेत्रों में अपने परिश्रम और प्रतिभा के बल पर देश का गौरव बढ़ा रहे हैं। राष्ट्रपति ने बिरसा मुंडा को याद कर कहा कि उन्होंने अंग्रेजों के शोषण से वन संपदा और वनवासी समुदाय की संस्कृति की रक्षा के लिए अनवरत युद्ध किया और शहीद हुए। उनका जीवन केवल जनजातीय समुदायों के लिए ही नहीं बल्कि सभी देशवासियों के लिए प्रेरणा और आदर्श का श्रोत रहा है। राष्ट्रपति ने भोजपुरी में लोगों का अभिवादन कर कहा कि सबन भाई-बहिनी को जोहार। माई बिंध्यवासिनी अउर ज्वाला देवी के आसीरबाद लेवे के खातिर अउर अपने बनवासी समाज के भाई-बहिनी से मिले हम ई सोनांचल में आज आइल हई। आश्रम परिसर में ही राष्ट्रपति ने बैगा समुदाय के लोगों के साथ प्रकृति पूजन, हवन कर यहां के शिक्षकों की जमकर सराहना की। उन्होंने आश्रम के शिक्षकों और सहयोगियों को बधाई देते हुए कहा कि आपने वनवासी समुदाय के बच्चों को निरंतर आगे बढ़ने के लिए प्रशिक्षित और प्रेरित किया है। पिछले दो दशकों से वनवासी युवकों की इस पौध को तैयार करने में सक्रिय ‘सेवा कुंज आश्रम’ की पूरी टीम की मैं सराहना करता हूं। राष्ट्रपति ने आश्रम के पदाधिकारियों का आभार जताते हुए कहा कि मुझे इस बात का संतोष है कि मेरी सांसद निधि की राशि का उपयोग आपके संस्थान व आश्रम के शिक्षा संबंधी प्रकल्प में हुआ है। किसी भी धनराशि का इससे बेहतर उपयोग नहीं हो सकता है। मैं आभारी हूं कि आप सबने मुझे योगदान करने का अवसर दिया और कल्याणकारी प्रकल्पों से जोड़े रखा। कार्यक्रम में प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहे। इसके पहले राष्ट्रपति सेना के विशेष हेलिकॉप्टर से बभनी स्थित सेवा कुंज आश्रम में बनाए गए हेलीपैड पर पहुंचे। यहां जनप्रतिनिधियों के साथ अफसरों ने देश के प्रथम नागरिक का स्वागत किया। हेलीपैड पर वनवासी कलाकारों ने परंपरागत लोक नृत्य कर्मा शैली से राष्ट्रपति की अगवानी की। हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/सुनीत

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