Loksabha Elections 2024: क्या सबसे अधिक मतदान वाले Tripura में सरकार के प्रति आक्रोश? जानें Bihar का भी हाल

क्या बंपर वोटिंग वर्तमान सरकार के लिए फायदेमंद साबित होगी या फिर वोटिंग के गणित के अनुसार विपक्ष को फायदा पहुंचाएगी। सियासी जानकारों के मत भी हुए एक-दूसरे से अलग।
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नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। लोकसभा चुनाव 2024 का पहला चरण 19 अप्रैल को पूरा हुआ। पहले चरण में मतदान में काफी रुझान देखने को मिले। जहां कुछ राज्यों में बंपर वोटिंग हुई तो वहीं बिहार जैसा राज्य 50 फीसद वोटिंग से पहले ही सिमट गया।

वोटिंग का गणित

बात करें वोटिंग के गणित की तो यह माना जाता है कि वोटिंग फीसद ज्यादा होने का अर्थ है लोगों में सरकार से प्रति आक्रोश। अगर, वोटिंग फीसद कम हो तो इसका मतलब निकाला जाता है कि लोग को मौजूदा सरकार से कोई फर्क नहीं पड़ रहा। या कह सकते है कि उनके बीच उदासीनता है। मतदाता उदासीनता का तात्पर्य चुनाव में मतदान करने के योग्य लोगों के बीच उदासीनता से है। ऐसा तब हो सकता है जब मतदाताओं का चुनावी प्रक्रिया से या राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों से मोहभंग हो जाता है, या जब उन्हें नहीं लगता कि उनका वोट मायने रखेगा, या जब उन्हें अपने आसपास के मुद्दों की ज्यादा परवाह नहीं है।

हमेशा सही नहीं होता वोटिंग का गणित

लेकिन वोटिंग का गणित हमेशा सही नहीं होता। काग्रेंस ने कई साल भारत में राज किया। इस दौरान चुनाव में कभी वोटिंग ज्यादा हुई तो कभी कम, लेकिन इसके बावजूद भी कांग्रेस की सरकार लगातार कई साल टिकी रही। वोटिंग में बढ़त या कमी से उसको कोई फर्क नहीं। ठीक उसी प्रकार लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण से पूरे चुनाव का अनुमान नहीं लगाया जा सकता। अभी छह चरण बाकी है। और उसके बाद भी क्या वाकई वोटिंग फीसद वर्तमान सरकार के लिए किस प्रकार फैसला लेकर सामने आएगा वह अलग बात है।

क्या कहते हैं सियासी सलाहकार?

सियासी जानकारों कम मतदान के अलग-अलग मायने निकाल रहे हैं। एक वर्ग कांग्रेस के लिए शुभ संकेत मान रहा है। जबकि दूसरा वर्ग का कहना है कि अधिक मतदान से बीजेपी को नुकसान होता। 

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