Uttarkashi news: सिलक्यारा सुरंग में हादसे के बाद पसरा सन्नाटा, कार्य शुरू होने को लेकर अभी तस्वीर साफ नहीं

Uttarakhand Silkiyara Tunnel: उत्तराखंड के उत्तरकाशी की सिलक्यारा निर्माणाधीन सुरंग में बीते 12 नवंबर को हुए भूस्खलन के कारण सन्नाटा पसरा हुआ है। सिलक्यारा रेस्क्यू अभियान में करोड़ों खर्च...
Uttarakhand Silkiyara Tunnel
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उत्तरकाशी, (हि.स.)। उत्तराखंड के उत्तरकाशी की सिलक्यारा निर्माणाधीन सुरंग में बीते 12 नवंबर को हुए भूस्खलन के कारण सन्नाटा पसरा हुआ है। अभी सुरंग निर्माण कार्य शुरू होने को लेकर तस्वीर साफ नहीं है। क्योंकि इस हादसे को लेकर गठित जांच टीम की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हुई है।

सिलक्यारा सुरंग से सकुशल बाहर निकले 41 मजदूर

हालांकि सिलक्यारा सुरंग में भूस्खलन के कारण फंसे 41 श्रमिकों को 17 दिन बाद सुरंग से सकुशल बाहर निकाल लिया गया था। दुनिया के इस सबसे बड़े रेस्क्यू आपरेशन देश-दुनिया के कई विशेषज्ञ लगे हुए थे। अभी इस निर्माणाधीन सुरंग में कार्य बंद है, यहां पर सन्नाटा पसरा हुआ है। सुरंग हादसे की जांच पड़ताल को गठित टीम ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है।

कब होगा सुरंग का उपचार?

इस घटना से सुरंग के भविष्य को लेकर प्रश्न तो उठने लगे हैं। इसमें सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि सुरंग के जिस हिस्से में भूस्खलन होने से श्रमिक भीतर फंस गए थे, उसका उपचार कैसे और कब होगा? हालांकि इस बारे में केंद्रीय राज्य मंत्री वीके सिंह पहले ही कह चुके हैं कि इस सुरंग का काम पूरा किया जाएगा।

सिलक्यारा सुरंग में पूरी तरह से सन्नाटा

गौरतलब है कि यमुनोत्री राजमार्ग पर चारधाम आलवेदर रोड परियोजना की निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में 12 नवंबर को हुए भूस्खलन से फंसे 41 श्रमिकों को 17 दिन बाद यानी बीती 28 नवम्बर की सायं को सभी श्रमिकों को सकुशल बाहर निकाल लिया गया था। इसके बाद मेडिकल चेकअप के बाद कंपनी के सभी मजदूर छुट्टी लेकर अपने घर चले गए हैं और कंपनी में पूरी तरह से सन्नाटा का माहौल है।

हादसे के बाद उत्तराखंड सरकार ने 6 सदस्यीय विशेषज्ञ कमेटी गठित की

इस सुरंग में हादसे के बाद उत्तराखंड सरकार ने 6 सदस्यीय विशेषज्ञ कमेटी गठित की थी, उसकी रिपोर्ट का कोई पता नहीं चल रहा है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है,लेकिन इसमें क्या कुछ कारण पाए गए हैं, इसका खुलासा अभी नहीं किया गया है। फिलहाल रेस्क्यू ऑपरेशन के सफल होने के बाद से वहां पुलिस ने नो एंट्री के बोर्ड लगा रखे हैं।

सिलक्यारा रेस्क्यू आपरेशन में हुए करोड़ों खर्च, निर्माण कंपनी नवयुगा उठाएगी खर्च-

सिलक्यारा निर्माणाधीन सुरंग में 17 दिन तक चले रेस्क्यू आपरेशन का पूरा खर्च इसका निर्माण करवा रही नवयुगा कंपनी उठाएगी। यमुनोत्री हाइवे पर सिलक्यारा सुरंग बनाने का टेंडर एनएचआइडीसीएल ने हैदराबाद की नवयुगा इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड को दिया था। राष्ट्रीय राजमार्ग अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड के निदेशक (प्रशासन और वित्त) अंशु मनीष खलको ने कहा है कि हम जल्द ही रेस्क्यू ऑपरेशन में खर्च हुए पैसे का बिल निर्माण कंपनी नवयुगा इंजीनियरिंग लिमिटेड को भेजेंगे।

12 नवम्बर से 28 नवम्बर तक कुल 17 दिन तक चला बचाव अभियान

गौरतलब है कि 12 नवम्बर से 28 नवम्बर तक कुल 17 दिन तक चले बचाव अभियान में अनेकों एजेंसियों सहित हजारों लोगों ने बगैर रुके काम किया। 17 दिन तक चले रेस्क्यू में अत्यधुनिक ऑगर मशीन से ड्रिलिंग का कार्य किया गया। इस बीच में कई प्रकार की अड़चनें आईं। इसके बावजूद भी युद्धस्तर पर कार्य करते हुए दुनिया के इस सबसे बड़े सुरंग रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम दिया गया।

रेस्क्यू अभियान के दौरान हवाई पट्टी पर भारी मशीनों को उतारा गया

इस रेस्क्यू अभियान के दौरान पुलिस, एनडीआरएफ, बीआर ओ,आरवीईएनएल, एसजेईएन एल, ओएनजीसी , टीएचडीसी, आईटीबीपी आदि दिन-रात जुटी रही। भारतीय वायुसेना के माल वाहन विमानों से चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी पर भारी मशीनों को उतारा गया। इसके अलावा वीवीआईपी मूवमेंट भी लगातार बना रहा, जिसमें करोड़ों की धनराशि खर्च होने का अनुमान है। इस अभियान में कुल कितनी धनराशि खर्च हुई, अभी इसका हिसाब नहीं हो पाया है।

ईपीसी मोड और शर्तों का होगा परीक्षण

एनएचआइडीसीएल ने नवयुगा कंपनी को इंजीनियरिंग प्रिक्योरमेंट एंड कंस्ट्रक्शन (ईपीसी) मोड में दिया है। इसकी लागत 853.79 करोड़ रुपये है। इस काम को पूरा करने की अंतिम तिथि आठ जुलाई 2022 को थी, जिसे आगे के लिए बढ़ाया गया था यानी इसे फरवरी 2024 तक का समय दिया गया है। इस सुरंग की 4.5 किमी लंबाई है। अनुबंध के शर्तों के अनुसार निर्माण कंपनी को डिजाइन से लेकर सभी कार्य स्वयं करने होते हैं और तमाम कार्यों में किसी भी तरह की खामी के लिए निर्माण कंपनी सीधे तौर पर जिम्मेदार होती है।

सिलक्यारा में अधिकांश कमजोर भाग : कर्नल पाटिल

एनएचआइडीसीएल के परियोजना प्रबंधक कर्नल दीपक पाटिल ने बताया कि सिलक्यारा सुरंग की साइट में चट्टानों की क्षमता कमजोर है। इसे वीक जोन यानी कमजोर भाग भी कहा जाता है। उन्होंने कहा कि सुरंग में सिलक्यारा की तरफ मुंहाने से 80 से 260 मीटर तक का भाग वीक जोन है। इसकी जानकारी पहले से थी। इसी को देखते हुए वीक जोन की री-प्रोफाइलिंग (सुरंग के कमजोर भाग के उपचार की पद्धति) की जा रही थी। 80 से 120 मीटर तक के भाग पर री-प्रोफाइलिंग कर भी ली गई थी, जबकि इससे आगे के भाग पर यह कार्य चल रहा था, तभी हादसा हो गया।

एनएचडीसीएल के अनुसार अब सुरंग में नया निर्माण तभी शुरू किया जाएगा, जब सुरक्षा के सभी बिंदुओं का समाधान कर लिया जाएगा। सुरंग के सर्वेक्षण के लिए गठित की जा रही तकनीकी समिति में सभी तरह के विशेषज्ञ शामिल किए जाएंगे।

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