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श्रीमहंत हरिगिरि का निर्वाणी के साथ स्नान, संतों की राजनीति का नया अध्याय

-अखाड़ा परिषद में हो सकता है नया अध्यक्ष, पुराना महामंत्री हरिद्वार, 28 अप्रैल (हि.स.)। मंगलवार को कुंभ मेला का अंतिम शाही स्नान सम्पन्न हुआ। संन्यासियों के पांच अखाड़ों द्वारा मेला समाप्ति की घोषणा व देव विसर्जन के बाद भी शाही स्नान किया गया। इस दौरान जो सबसे खास बात सामने आयी, वह रही जूना अखाड़े के संरक्षक श्रीमहंत हरिगिरि महाराज का श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के साथ स्नान करना। अभी तक ऐसा किसी भी कुंभ में देखने को नहीं मिला कि किसी अन्य अखाड़े के संत ने किसी दूसरे अखाड़े के साथ शाही स्नान किया हो। अखाड़ों की राजनीति के जानकार इसे राजनीति की दूरदृष्टि व अखाड़ों में उथल-पुथल मान रहे हैं। काफी समय से अखाड़ा परिषद अध्यक्ष व महामंत्री के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। पूर्व में कई निर्णयों में अखाड़ा परिषद अध्यक्ष व महामंत्री के बयान विरोधाभासी नजर आए। वहीं अब बैरागी संतों ने अखाड़ा परिषद से अपना रास्ता अलग करते हुए नयी बैरागी परिषद का गठन कर लिया है। बैरागियों के अखाड़ा परिषद से अलग हो जाने पर अब अखाड़ा परिषद में कुछ 10 अखाड़े की शेष रह गए हैं। वहीं, अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष बनने की भी कई संतों में प्रबंल इच्छा है। पूर्व में बैरागियों के साथ एक अखाड़े के महंत की अध्यक्ष बनने की खबरें प्रकाश में आई थीं। किन्तु अब बैरागी अलग हो चुके हैं। वहीं अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरिगिरि महाराज भी महामंत्री पद पर बने रहने के इच्छुक हैं। ऐसे में अखाड़ा परिषद के चुनाव में समीकरण पुनः बदल सकते हैं और हरिगिरि महाराज पुनः महामंत्री पद पर बने रह सकते हैं। जबकि अध्यक्ष को बदलने की रणनीति पर चर्चा चल रही है। बैरागियों के अलग होने से पूर्व बैरागी संतों की मांग थी कि परिषद में अध्यक्ष या महामंत्री में से एक पद उन्हें मिलना ही चाहिए। अब बैरागियों के अलग होने से यह मांग भी स्वतः ही समाप्त हो चुकी है। ऐसे में नया अध्यक्ष और पुराना महामंत्री अखाड़ा परिषद में देखने को मिल सकता है। इसकी प्रबंल संभावना है। हिन्दुस्थान समाचार/रजनीकांत

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