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मां विंध्यवासिनी का चंद्रघंटा के स्वरूप में किए दर्शन पूजन

-मंदिर पर तीसरे दिन मात्र एक से डेढ़ हजार भक्त पहुंचे पूरे दिन में -कोरोना संक्रमण और रात्रि कालीन के कारण घट गयी श्रद्धालुओं की संख्या मीरजापुर, 15 अप्रैल (हि.स.)। चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन मां विंध्यवासिनी के चंद्रघंटा स्वरूप का दर्शन-पूजन कर भक्त निहाल हो गए। नवरात्रि मेले पर गुरुवार को कोरोना संक्रमण व रात्रि कालीन की पाबंदी का स्पष्ट प्रभाव दिखा। नवरात्रि मेले के तीसरे दिन मां विंध्यवासिनी का दर्शन पूजन करने के लिए डेढ़ से दो हजार भक्त पहुंचे। मां विंध्यवानिसी के मंदिर की तरफ जाने वाली सातों गलियां खाली रही। मां का दर्शन पूजन करने आने वाले श्रद्धालु हाथ में नारियल-चुनरी,इलायची दाना माला-फूल लेकर मंदिर पर पहुंच कर आसानी से गर्भगृह में पहुंज जा रहे थे। इससे पहले स्थानीय श्रद्धालु भोर में पवित्र गंगा में आस्था की डुबकी लगायी। इसके बाद नवीन वस्त्र धारण कर मां विध्यवासिनी का दर्शन करने के लिए मंदिर पर पहुंचे। पुरोहित भोर में चार बजे आदि शक्ति स्वरूपा मां विंध्यवासिनी की सविधि मंगला आरती करने के बाद मंदिर का कपाट बंद कर दिए। रात्रि कालीन पाबंदी के नियमों के अनुसार सुबह छह बजे मां विंध्यवासिनी का कपाट आम दर्शनार्थियों के लिए खोल दिया गया। भक्त माता के जयकारे के साथ मंदिर में पहुंच कर दर्शन पूजन किए। शंख ध्वनि, घंटा घड़ियाल के आवाज के बीच भक्तों ने दर्शन किए। कुछ ही देर में मंदिर पर सन्नटा पसर गया। मंदिर के गर्भगृह और झांकी पर एक- दो श्रद्धालु पहुंचे और दर्शन पूजन कर वापस लौट जाते। मंदिर पर पूरे दिन डेढ़ से दो हजार भक्तों ने दर्शन पूजन किए। यज्ञोपवित, मुंडन संस्कार भी नहीं हुए नवरात्रि में विंध्याचल धाम में मुंडन संस्कार के साथ ही यज्ञो पवित संस्कार कराने वालों की भीड़ रहती है। इस बार यह भी नहीं हो रहा है। ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि का हर दिन शुभ कार्य के अनुकूल होता है। लिहाजा विंध्याचल मंदिर पर इन संस्कारों को कराने वाले पुराहितों और यजमानों की भीड़ रहती थी। पंडा समाज भी दिखा मायूस श्री विंध्य पंडा समाज भी श्रद्धालुओं की अपेक्षित संख्या मां के दरबार में न पहुंचने पर मायूस दिखा। बीते नवरात्रि में दर्शन पूजन कराने के लिए पुरोहितों की नवरात्रि में मंदिर पर ड्यूटी लगायी जाती थी। इस बार किसी की ड्यूटी लगाने की जरूरत ही नहीं समझी गयी। मां काली, अष्टभुजा मंदिर भी श्रद्धालुओं से रहे खाली विंध्याचल माता के दर्शन करने के बाद त्रिकोण परिपथ में स्थित माता काली खोह और अष्टभुजा देवी के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु पहुंचते है। इन मंदिरों पर भी इस बार दो दिनों से कोई खास भीड़ नहीं जुट रही है। नवरात्रि में सामान्य दिनों जैसे श्रद्धालु मंदिर पर पहुंच कर दर्शन पूजन कर लौट जा रहे है। हिन्दुस्थान समाचार/ गिरजा शंकर

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