Lok Sabha Poll: चौधरी चरण सिंह के गढ़ बागपत पर किसने थामी बागडोर, SP-BSP का नहीं खुला खाता; यहां पढ़ें इतिहास

Uttar Pradesh News: आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा-रालोद के बीच हाल ही में हुए गठबंधन के बाद भाजपा ने अपनी जीती हुई बागपत सीट रालोद को दी है। इस सीट पर आज तक सपा और बसपा का खाता नहीं खुला है।
Chaudhary Charan Singh
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लखनऊ, हि.स.। बागपत यानी 'व्याघ्रप्रस्थ' जिसके इतिहास का वर्णन महाभारत काल में भी हुआ है। इसी ऐतिहासिक धरती ने देश को चौधरी चरण सिंह जैसा प्रधानमंत्री दिया। बागपत में चादरें, गद्दे, तौलिये, तकिये व होम फर्निशिंग के अन्य उत्पाद तैयार किये जाते हैं। बागपत होम फर्निशिंग के उत्पाद पूरे देश में सप्लाई करता है।

बागपत सीट का संसदीय इतिहास

1967 में वजूद में आई बागपत संसदीय सीट पर वर्ष 2019 तक 14 बार चुनाव हुआ। यह सीट चौधरी चरण सिंह परिवार का गढ़ रही है। चौधरी परिवार 9 बार इस सीट से जीता है। पहले चुनाव में यहां निर्दलय रघुवीर शास्त्री और दूसरे चुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की। लेकिन इमरजेंसी के बाद यहां 1977 में हुए चुनाव से ही क्षेत्र की राजनीति पूरी तरह से बदल गई। 1977, 1980 और 1984 में लगातार चौधरी चरण सिंह यहां से चुनाव जीते। उनके बाद बेटे अजित सिंह 1989, 1991, 1996, 1999, 2004 और 2009 में 6 बार यहां से सांसद रहे। 1998 में हुए चुनाव में उन्हें यहां हार का सामना करना पड़ा। 2014 में तो वह तीसरे नंबर पर ही पहुंच गए।

जाट प्रत्याशियों को ही मिला मौका

2019 में भाजपा के डॉ. सत्यपाल सिंह दूसरी बार यहां से जीते। उन्होंने रालोद प्रमुख जयंत चौधरी को हराया। बागपत के वोटरों ने 57 साल में 14 बार हुए चुनावों में 13 बार जाट प्रत्याशी को ही संसद पहुंचाने का काम किया। 1996 में स्व. चौधरी अजित सिंह ने कांग्रेस के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। यदि अजित सिंह के इस चुनाव को छोड़ दें तो कांग्रेस का 1971 के बाद कोई भी बागपत से सांसद नहीं बना। सपा और बसपा का यहां कभी खाता नहीं खुला।

2019 लोकसभा चुनाव का नतीजा

2019 के आम चुनाव में भाजपा प्रत्याशी डॉ. सत्यपाल सिंह ने रालोद प्रत्याशी जयंत चौधरी को हराया। भाजपा को 525789 (50.29 फीसदी) और रालोद को 502287 (48.04 फीसदी) वोट मिले। 2014 चुनाव में भाजपा प्रत्यााशी डॉ. सत्यपाल सिंह ने सपा प्रत्याशी गुलाम मोहम्म्द को हराया था। भाजपा को 423475 (42.15 फीसदी) और सपा प्रत्याशी के खाते में 213609 (21.26 फीसदी) मत आए। रालोद प्रमुख अजीत सिंह 19.86 फीसदी वोटों के साथ तीसरे स्थान और बसपा 14.11 फीसदी मत हासिल कर थे स्थान पर रही।

चुनावी रण के योद्धा

भाजपा-रालोद के बीच हाल ही में हुए गठबंधन के बाद भाजपा ने अपनी जीती हुई बागपत सीट रालोद को दी है। रालोद ने पार्टी के राष्ट्रीय सचिव मेरठ कॉलेज से इतिहास के रिटायर्ड प्रोफेसर डॉ. राजकुमार सांगवान पर भरोसा जताया है। ऐसा पहली बार है कि बागपत लोकसभा से चौधरी परिवार का कोई व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ रहा है। इंडी गठबंधन में यह सीट सपा के खाते में हैं। सपा ने पूर्व विधायक अमरपाल शर्मा को प्रत्याशी बनाया है। बसपा ने एडवोकेट प्रवीण बैंसला को प्रत्याशी बनाया है।

बागपत लोकसभा क्षेत्र का समीकरण

बागपत में दूसरे चरण में 26 अप्रैल को मतदान होगा। पांच विधानसभा क्षेत्रों में 16.46 लाख 278 मतदाता हैं। यहां मुस्लिम वोटर लगभग 3.50 लाख, जाट 4 लाख, 1.50 लाख के करीब दलित वोटर हैं। यहां यादवों की संख्या करीब 50 हजार है। वहीं गुर्जर और राजपूत दोनों जाति के वोटर भी 1 लाख से ऊपर है। इसके अलावा ब्राह्मण, त्यागी की संख्या भी डेढ़ लाख से ज्यादा है, जबकि पिछड़े और अन्य पिछड़े वोटर भी यहां काफी तादाद में है।

बागपत संसदीय क्षेत्र की विधानसभा सीटों का हाल

बागपत लोकसभा क्षेत्र में कुल 5 विधानसभा सीटें आती हैं। इसमें सिवालखास, छपरौली, बड़ौत, बागपत और मोदीनगर विधानसभा सीटें हैं। इसमें सिवालखास मेरठ जिले की और मोदीनगर गाजियाबाद जिले से आती हैं। बागपत, बड़ौत मोदीनगर तीन सीटें भाजपा के कब्जे में है। सिवालखास और छपरौली से रालोद के विधायक हैं।

दलों की जीत का गणित

बागपत सीट रालोद का गढ़ मानी जाती है। रालोद-भाजपा दोनों दलों का यहां परंपरागत वोट बैंक हे। रालोद ने जाट बिरादरी के डॉ. सांगवान को मैदान में उतारा है। रालोद को जाटों के साथ ही गुर्जर वोटरों का पूरा साथ मिलने की उम्मीद है। सपा ने जातीय समीकरण और ब्राह्मण वोटर्स को देखते हुए जाट प्रत्याशी मनोज कुमार का टिकट काटकर पूर्व विधायक अमरपाल शर्मा को मैदान में उतारा है। भाजपा के साथ जुड़ने से रालोद के मुस्लिम वोट वोट बैंक में सेंध लग सकती हे। इंडिया गठबंधन इसका फायदा उठाने की ताक में है। बसपा ने गुर्जर प्रत्याशी उतारकर लड़ाई को रोमांचक बना दिया है।

बसपा की यहां कोई हवा नहीं

दिगंबर जैन कॉलेज बड़ौत में राजनीति विज्ञान के अस्सिटेंटे प्रोफेसर डॉ. स्नेहवीर के अनुसार, अभी तक मुकाबला रालोद के पक्ष में एकतरफा लग रहा था, लेकिन सपा ने ब्राह्मण प्रत्याशी उतारकर रालोद की चुनौती बढ़ा दी है। बसपा की यहां कोई हवा नहीं है। डॉ. स्नेहवीर कहते हैं, रालोद-भाजपा गठबंधन अगर बेहतर तालमेल और सहयोग से चुनाव लड़ेंगे तो उनकी राह आसान हो सकती है।

बागपत से कौन कब बना सांसद

1967 रघुवीर सिंह शास्त्री (निर्दलीय)

1971 राम चंद्र विकल (कांग्रेस)

1977 चरण सिंह (भारतीय लोक दल)

1980 चरण सिंह (जनता पार्टी सेक्युलर)

1984 चरण सिंह (लोकदल)

1989 अजित सिंह (जनता दल)

1991 अजित सिंह (जनता दल)

1996 अजित सिंह (कांग्रेस)

1998 सोमपाल (भाजपा)

1999 अजित सिंह (रालोद)

2004 अजित सिंह (रालोद)

2009 अजित सिंह (रालोद)

2014 डॉ. सत्यपाल सिंह (भाजपा)

2019 डॉ. सत्यपाल सिंह (भाजपा)

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