संघर्षशील, प्रयत्नशील व्यक्ति का निर्माण करने की प्रक्रिया अपनाएं : प्रो साकेत
जौनपुर, 18 जनवरी (हि.स.)। नई शिक्षा नीति व्यक्ति से व्यक्ति और भारतीयता का भारतीयता से परिचय कराती है। सिर्फ सपने देखने से नहीं, काम करने से मंजिल मिलती है। हमें संघर्षशील, प्रयत्नशील व्यक्ति का निर्माण करने की प्रक्रिया बनाना होगा, मशीन की नहीं। आज मानव की जरूरत है। उक्त विचार मुख्य वक्ता राजीव गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, अरुणाचल प्रदेश के कुलपति प्रो. साकेत कुशवाहा ने वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के आंतरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ द्वारा सोमवार को कुलपति सभागार में ‘उच्च शिक्षा की गुणवत्ताः राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के संदर्भ में’ विषयक विशेष व्याख्यान में व्यक्त किया। उन्होंने पाठ्यक्रम निर्माण पर चर्चा करते हुए कहा कि ऐसे पाठ्यक्रम बने जिससे विद्यार्थियों को आसानी से रोजगार उपलब्ध हो सके। शिक्षकों को अपने द्वारा किए जा रहे नई खोजों को पेटेंट कराने का भी निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए। आज हमारे ज्ञान को दूसरे लोग पेटेंट कराकर लाभ ले रहे हैं। विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. निर्मला एस. मौर्य ने कहा कि राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों की अहम भूमिका होती है। व्यक्ति के कार्य से ही उसकी पहचान बनती है, निरंतर विद्यार्थियों के हित में कार्य करते रहना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन संयोजक प्रो. मानस पांडेय और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. आलोक सिंह ने किया। इस अवसर पर प्रो.एके श्रीवास्तव, प्रो. वंदना राय, प्रो. अजय प्रताप सिंह, प्रो.बीडी शर्मा प्रो.राम नारायण, प्रो.देवराज, डॉ.मनोज मिश्र, डॉ.विजय सिंह, डॉ.राजकुमार, डॉ. संदीप सिंह, डॉ.मनीष गुप्ता, डॉ.राकेश यादव, डॉ.नूपुर तिवारी, डॉ.संतोष कुमार, समेत अन्य शिक्षक एवं अधिकारी मौजूद रहे। हिन्दुस्थान समाचार/विश्व प्रकाश/विद्या कान्त-hindusthansamachar.in