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समय से मूंग की बुवाई कर किसान पा सकते हैं बेहतर फसल व लाभ : डॉ मनोज कटियार

— जुलाई के द्वितीय पखवाड़े से अगस्त के प्रथम सप्ताह किसान भाई कर लें बुवाई — मूंग में एंटीबायोटिक पाए जाते हैं गुण, बढ़ती हैं शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कानपुर, 28 जून (हि.स.)। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति डॉक्टर डी.आर. सिंह के निर्देशन में शोधपरक खेती को लेकर विशेष कार्य किए जा रहे हैं। अच्छी फसल को लेकर 04 जुलाई 2020 को दलहन अनुभाग में अर्थ वनस्पति विद दलहन डॉक्टर सर्वेंद्र कुमार गुप्ता के साथ शोध कार्य की शुरूआत की गई थी। इसी क्रम में वैज्ञानिक डॉ मनोज कटियार ने सोमवार को बताया कि मूंग की बुवाई सामान्यता प्रदेश के सभी जनपदों में की जाती है। लेकिन इसका सबसे अधिक क्षेत्रफल झांसी, फतेहपुर, वाराणसी, उन्नाव, रायबरेली तथा प्रतापगढ़ जनपदों में है। डॉ कटियार ने बताया कि खरीफ में मूंग की बुवाई का बेहतर समय जुलाई के द्वितीय पखवाड़े से अगस्त के प्रथम सप्ताह तक है। बताया कि उप्र में खरीफ मूंग का क्षेत्रफल 0.51 लाख हेक्टेयर, उत्पादन 0.21 लाख मीट्रिक टन एवं उत्पादकता 4.24 कुंतल प्रति हेक्टेयर है। अगर कानपुर मंडल में दृष्टि डालें तो इसका क्षेत्रफल 12 से 39 हेक्टेयर तथा उत्पादन 488 मीट्रिक टन और उत्पादकता 3.94 कुंतल प्रति हेक्टेयर है। अभिजनक डॉ मनोज कटियार ने बताया कि कम समय में रोग रोधी एवं अधिक उत्पादन देने वाली प्रजातियां केएल 22 41 (श्वेता), पीडीएम 139 (सम्राट), आईपीएम 205-7 (विराट), केएम 2195 (स्वाति), शिखा एवं आईपीएम 02-3 की बुवाई करनी चाहिए। डॉ कटियार ने बताया कि मूंग की दाल शक्ति वर्धक होने के साथ इसका सेवन करने से ज्वर एवं आज की समस्या को दूर करता है। शरीर में कोलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता है साथ ही अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल को शरीर से हटाने में मदद मिलती है। अंकुरित होने के बाद इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व जैसे जैसे कैल्शियम, आयरन, प्रोटीन एवं विटामिंस की मात्रा दोगुनी हो जाती है यही कारण है कि कोविड-19 में मनुष्य के अंदर इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए अंकुरित मूंग का सेवन अधिक लाभप्रद है। उन्होंने बताया कि मूंग में एंटीबायोटिक गुण पाए जाते हैं जो शरीर को बीमारियों से दूर रखता है। अर्थ वनस्पति विद दलहन के रूप में कार्यरत डॉ सर्वेंद्र कुमार गुप्ता ने बताया कि खरीफ मौसम में उनकी अच्छी फसल के लिए जो दोमट एवं हल्की दोमट मिट्टी होनी चाहिए। जिसमें पानी का समुचित विकास हो इस फसल के लिए उत्तम होती हैं खेत को पलेवा करके 01-02 जुताई करने के बाद पाटा लगा कर खेत को तैयार कर लेना चाहिए। साथ ही डॉ गुप्ता ने बताया कि 12 से 15 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर आवश्यकता होती है तथा मूंग की बुवाई करते समय पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30 सेंटीमीटर तथा पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर रखनी चाहिए। उन्होंने बताया कि 100 ग्राम मूंग में औसतन प्रोटीन 23.86 ग्राम, कार्बोहाइड्रेट 62.62 ग्राम, वसा 1.15 ग्राम, कैल्शियम 132 मिलीग्राम, मैग्नीशियम 189 मिलीग्राम, फास्फोरस 367 मिलीग्राम एवं पोटेशियम 1246 मिलीग्राम पाया जाता है। हिन्दुस्थान समाचार/अजय

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