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उपचुनाव : सहाड़ा, सुजानगढ़ व राजसमंद में 27 उम्मीदवार, 2018 में थे 29 प्रत्याशी

जयपुर, 03 अप्रैल (हि. स.)। प्रदेश की तीन विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव के लिए नामवापसी के अंतिम दिन शनिवार तक कुल 14 प्रत्याशियों ने नाम वापस ले लिए, जबकि 12 के नामांकन रद्द हो गए। प्रदेश में सहाड़ा, सुजानगढ़ और राजसमंद विधानसभा सीटों पर 17 अप्रैल को वोटिंग होनी है। इसके नतीते 2 मई को आएंगे। राज्य में 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान इन तीनों सीटों पर 29 प्रत्याशी मैदान में उतरे थे। निर्वाचन आयोग के अनुसार अब सहाड़ा में 8, राजसमंद में 10 और सुजानगढ़ में 9 उम्मीदवार हैं। तीनों सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के अलावा सांसद हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी ने भी प्रत्याशी उतारे हैं। राज्य में 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान इन तीनों सीटों पर 29 प्रत्याशी मैदान में उतरे थे। जबकि, इस बार उपचुनाव में 27 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं। अलग-अलग सीटों के लिहाज से भी एक-दो प्रत्याशियों का ही अंतर है। पिछली बार यानी 2018 के आम चुनाव में सहाड़ा में 10 प्रत्याशी थे और अब उपचुनाव में इनकी संख्या घटकर 8 रह गई है। सुजानगढ़ में एक प्रत्याशी इस बार बढ़ गया है। 2018 में यहां 8 प्रत्याशी चुनाव लड़े थे और अब उपचुनाव में इनकी संख्या एक बढक़र 9 हो गई है। राजसमंद में एक प्रत्याशी की कमी हुई। पूर्व में 11 प्रत्याशियों के मुकाबले इस बार 10 उम्मीदवार मैदान में हैं। पहली बार आरएलपी भी तीनों सीटों पर मैदान में है। इनके अलावा राजसमंद से भारतीय ट्राइबल पार्टी ने भी अपना उम्मीदवार उतारा है। शेष सीटों पर निर्दलीय व अन्य उम्मीदवार हैं। चूरू की सुजानगढ़ विधानसभा सीट के लिए 9 प्रत्याशी मैदान में हैं। यहां भाजपा और कांग्रेस के अलावा आरएलपी ने भी प्रत्याशी उतारा है। नायक समाज के सीताराम नायक हर बार निर्दलीय चुनाव लडक़र यहां से 5 से 6 हजार वोट बटोरते रहे हैं। इस बार उन्हें आरएलपी से टिकट दे दिया गया है। भाजपा ने पूर्व विधायक खेमाराम मेघवाल और कांग्रेस ने दिवंगत विधायक व मंत्री रहे भंवरलाल मेघवाल के बेटे मनोज मेघवाल को उम्मीदवार बनाया है। दोनों के बीच सीधी टक्कर को आरएलपी के नायक ने रोचक मोड़ दे दिया है। यहां से एक बार भी कोई चेहरा दूसरी बार चुनाव नहीं जीता है। सुजानगढ़ ऐसी सीट है, जहां आरएलपी उम्मीदवार हवा का रुख ही बदल सकता है। भाजपा को सबसे बड़ा खतरा इसी से लग रहा है। सुजानगढ़ में बेरोजगारों की ओर से चुनाव लड़ रहे एक प्रत्याशी ने भी नाम वापस ले लिया है। नाम वापसी के बाद राजसमंद में 10 उम्मीदवार मैदान में हैं। यहां सीधे तौर पर भाजपा और कांग्रेस के बीच ही मुकाबला है। आरएलपी भी यहां जोर आजमाइश में लगी है। भाजपा ने दिवंगत विधायक किरण माहेश्वरी की बेटी दीप्ति माहेश्वरी को टिकट दिया है। वहीं कांग्रेस ने नए चेहरे के रूप में तनसुख बोहरा को मैदान में उतारा है। तनसुख ने कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान लोगों की मदद की थी, तब से यहां लोग उन्हें जानने लगे हैं। दो वैश्य उम्मीदवारों के बीच गुर्जर समाज के वोटों में सेंध लगाने के लिए ही आरएलपी ने प्रहलाद खटाना को अपना उम्मीदवार बनाया। राजसमंद में पहली बार उपचुनाव हो रहे हैं। यहां बीते दो दशक से कांग्रेस को जीत नहीं मिल पाई है। पहली बार पार्टी यहां से जीत के सपने देख रही है। जबकि भाजपा की दिवंगत विधायक तीन बार यहां से विधायक रहीं। उपचुनाव में बीजेपी के बागी गिरिराज कुमावत ने दीप्ति माहेश्वरी के समर्थन में नामांकन वापस लिया है। इसका फायदा भी भाजपा को होगा। भीलवाड़ा की सहाड़ा सीट पर उपचुनाव के लिए 8 प्रत्याशी मैदान में हैं। इनमें भाजपा के रतनलाल जाट और कांग्रेस की ओर से दिवंगत विधायक कैलाश त्रिवेदी की पत्नी गायत्री देवी त्रिवेदी मैदान में हैं। सहाड़ा में भाजपा के जाट उम्मीदवार की टक्कर में आरएलपी ने भी बद्रीलाल जाट को उतार दिया। दोनों के जाट वोटों के बंटवारे का फायदा कांग्रेस उठाने की कोशिश करेगी। भाजपा को दूसरा खतरा नाराज लादूलाल पीतलिया के नाम वापसी प्रकरण का भी हो सकता है। पीतलिया की कुछ समय पहले ही भाजपा में कांग्रेस से घर वापसी हुई थी, लेकिन टिकट नहीं मिलने से नाराज पीतलिया ने निर्दलीय पर्चा दाखिल कर दिया था। इसके बाद भाजपा पर दबाव बनाकर पर्चा वापस दिलाने के आरोप लगे और उन्होंने नाम वापस ले लिया। अब इस प्रकरण के बाद सियासी चर्चाओं का बाजार गर्म है। हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/संदीप

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