जानिए क्यों शरद पवार ने सुले को किया आगे और अजीत को किया पीछे, पढ़ें पूरी स्टोरी

शरद पवार ने महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और अपने भतीजे अजित पवार को कोई जिम्मेदारी नहीं दी है। इस घोषणा के वक्त अजित पवार दिल्ली में हो रही
जानिए क्यों शरद पवार ने सुले को किया आगे और अजीत को किया पीछे,
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मुंबई, हिन्दुस्थान समाचार। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने शनिवार को अपनी पुत्री सुप्रिया सुले और वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाने की घोषणा की। शरद पवार ने कहा कि इन दोनों को अलग-राज्यों की जिम्मेदारी दी जा रही है।

सुप्रिया सुले को महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा राज्य की दी गई जिम्मेदारी

शरद पवार ने राकांपा की स्थापना के 25वीं वर्षगांठ पर दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि सुप्रिया सुले को महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा राज्य की जिम्मेदारी दी गई है, जबकि प्रफुल्ल पटेल को मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, झारखंड की जिम्मेदारी दी गई है। बैठक में शरद पवार ने सांसद सुनील तटकरे और पूर्व मंत्री जितेंद्र आव्हाड को भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है। सुनील तटकरे को ओडिशा, पश्चिम बंगाल, कृषि, अल्पसंख्यक मामलों की जिम्मेदारी दी गई है। जितेंद्र आव्हाड को बिहार, छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, श्रम विभाग की जिम्मेदारी दी गई है।

सरकार ने अपने नहीं किए वादे पूरे

शरद पवार ने महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और अपने भतीजे अजित पवार को कोई जिम्मेदारी नहीं दी है। इस घोषणा के वक्त अजित पवार दिल्ली में हो रही बैठक में मौजूद थे। इसे लेकर राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह की चर्चा शुरू हो गई है। शरद पवार ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें 24 साल तक राकांपा अध्यक्ष पद के माध्यम से जनता की सेवा करने का मौका मिला। अब आगे की आपकी जिम्मेदारी है। सरकार ने अपने वादे पूरे नहीं किए। शरद पवार ने अपील की कि राकांपा कार्यकर्ता जमकर काम करें।

पार्टी के अध्यक्ष पद से शरद पवार देना चाहते थे इस्तीफा

उल्लेखनीय है कि शरद पवार ने दो मई को चेंबूर में एक सभा में चेतावनी देते हुए कहा था कि रोटी पलटने का समय आ गया है। अगर इसे समय पर नहीं पलटा गया तो नुकसान हो सकता है। इसके बाद शरद पवार ने मुंबई में आयोजित अपनी पुस्तक के विमोचन समारोह में अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की घोषणा की थी। उस समय पार्टी नेताओं की मान-मनव्वल के बाद शरद पवार ने राकांपा अध्यक्ष पद से अपना इस्तीफा वापस ले लिया था, लेकिन पार्टी में कार्याध्यक्ष पद की जरूरत का संकेत दिया था।

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