मप्र अब घडिय़ाल और गिद्धों की संख्या में नम्बर वन की दहलीज पर

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भोपाल, 25 जनवरी (हि.स.)। मध्यप्रदेश प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता विशेष कर वन एवं वन्य-प्राणियों की विविधता के लिए जाना जाता है। मृदा और जल के संरक्षण के काम में वनों की महत्ता अद्वितीय हैं। मध्यप्रदेश टाइगर और लेपर्ड स्टेट बनने के बाद अब घडिय़ाल और गिद्धों की संख्या के मामले में नम्बर वन बनने की दहलीज पर आ पहुंचा है। जनसम्पर्क अधिकारी ऋषभ जैन ने सोमवार को बताया कि देश में सबसे अधिक बाघ मध्यप्रदेश में हैं। पिछले साल बाघों की संख्या 526 होने के साथ प्रदेश को एक बार पुन: टाईगर स्टेट का दर्जा मिला है। इस बीच 4 बाघ कम भी हुए हैं। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में सर्वाधिक 124 और कान्हा टाईगर रिजर्व में 108, पेंच टाईगर रिजर्व में 87, सतपुड़ा टाईगर रिजर्व होशंगाबाद में 47 और पन्ना टाईगर रिजर्व में बाघों की संख्या 31 थी। आज से 14 साल पहले वर्ष 2006 में प्रदेश में सर्वाधिक 300 बाघ होने से टॉप पर था। वर्ष 2010 और 2014 में हुई गणना में कर्नाटक और उत्तराखण्ड से पिछड़ कर मध्यप्रदेश तीसरे पायदान पर आ गया था। इसके चार साल बाद वर्ष 2018 में हुई गणना में बाघों के मामले में मध्यप्रदेश ने लम्बी छलांग के साथ देशभर में पहले स्थान पर आकर 'टाइगर स्टेट' का दर्जा मिलने का गौरव हासिल किया। राष्ट्रीय स्तर पर गणना उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्तर पर हरेक चार साल में गणना भारत सरकार के वन्य एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा कराई जाती है। वाइल्ड लाइफ इंस्टीयूट देहरादून द्वारा इसकी मॉनीटरिंग की जाती है। इस आधार पर बाघ और तेंदुओं की संख्या भारत सरकार द्वारा तय की जाती है। प्रदेश के संरक्षित क्षेत्रों में कुछ ऐसे भी क्षेत्र हैं, जहाँ बाघों की संख्या बहुत कम है। इनमें माधव राष्ट्रीय उद्यान, गांधी सागर अभयारण्य, संजय एवं सतपुड़ा टाईगर रिजर्व और नौरादेही अभयारण्य शामिल हैं। टाईगर ट्रांसलोकेशन में ऐसे क्षेत्र जहाँ बाघों की संख्या कम है, वहाँ पर बाघों को उन क्षेत्रों से जहाँ बाघों की संख्या अधिक है, वे अपनी टेरेटरी बनाने के लिए संरक्षित क्षेत्र से बाहर निकल जाते हैं। इससे जहाँ एक ओर बाघ के आ जाने से क्षेत्र की जैव-विविधता बढ़ेगी, वहीं दूसरी तरफ मनुष्य-वन्य प्राणी द्वन्द की घटनाओं पर विराम लगेगा और बाघ प्रबंधन बेहतर हो सकेगा। तेंदुआ स्टेट का मिला दर्जा तेंदुए की आबादी के अखिल भारतीय आंकलन की रिपोर्ट पिछले साल के अंत में केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने जारी की। देशभर में तेंदुओं की संख्या 12 हजार 852 और प्रदेश में 3 हजार 421 संख्या थी। इस प्रकार देश में उपलब्ध तेंदुओं की संख्या में से 25 प्रतिशत अकेले मध्यप्रदेश में पाए गए हैं।इसी के साथ मध्यप्रदेश ने कर्नाटक और महाराष्ट्र को पीछे छोडक़र 'तेंदुआ स्टेट' का दर्जा हासिल किया है। देश में तेंदुए की आबादी में औसतन 60 फीसदी बढ़ोत्तरी हुई, जबकि प्रदेश में 80 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। घडिय़ाल और गिद्धों के मामले में भी नम्बर वन की दहलीज पर मध्यप्रदेश, टाईगर स्टेट और लेपर्ड स्टेट बनने के बाद घडिय़ालों और गिद्धों के मामले में भी नम्बर वन बनने से एक कदम की दूरी पर आ गया है। घडिय़ाल और गिद्ध गणना की रिपोर्ट आने के बाद प्रदेश को गिद्ध और घडिय़ाल स्टेट के दो खिताब मिलने की प्रबल संभावना है। वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक सबसे अधिक 1859 घडिय़ाल चम्बल अभयारण्य में हैं। चार दशक पहले घडिय़ालों की संख्या खत्म होने के कगार में थी। तब दुनिया भर में केवल 200 घडिय़ाल ही बचे थे। इनमें से भारत में 96 और चम्बल नदी में 46 घडिय़ाल थे। वर्ष 2019 में पक्षी गणना के मुताबिक 8397 गिद्ध प्रदेश में थे, जो भारत के अन्य राज्योंकी तुलना में सबसे अधिक है। भोपाल के केरवा इलाके में वर्ष 2013 से गिद्ध संरक्षण और प्रजनन केन्द्र स्थापित है। इसे बाम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी और मध्यप्रदेश सरकार द्वारा संयुक्त रूप से संचालित किया जा रहा है। गिद्धों की संख्या के मामले में मध्यप्रदेश जल्द नम्बर वन के पायदान पर आने वाला है। चीतल ट्रांसलोकेशन प्रदेश में अफ्रीकी चीता के पुनस्र्थापना की व्यापक तैयारी प्रारंभ कर दी गई है। इसमें प्रे-बेस के लिए संरक्षित क्षेत्र गांधी सागर अभयारण्य, मंदसौर में शाकाहारी वन्य-प्राणियों के ट्रान्सलोकेशन के लिए राज्य शासन द्वारा नरसिंहगढ़ अभयारण्य (राजगढ़) से 500 चीतलों का ट्रांसलोकेशन की अनुमति दी जा चुकी है। चीतलों के ट्रांसलोकशन के साथ जहाँ एक क्षेत्र में प्रे-बेस की संख्या में वृद्धि होगी वही फसल हानि एवं मानव-वन्य प्राणी की द्वन्द स्थिति में बड़े स्तर पर कमी आएगी। नाईट जंगल सफारी प्रदेश के वन्य-प्राणी संरक्षित क्षेत्रों में सुबह और दोपहर में वाहन द्वारा पर्यटकों के लिए सफारी की जाती है। निशा सफारी में पर्यटक सांयकाल अवधि में बफर क्षेत्र में सूर्यास्त के चार घंटे बाद तक प्राकृतिक वनों एवं वन्य-प्राणियों का अद्भुत नजारा देखते हैं। बैलून सफारी पर्यटकों की सुविधाओं का विस्तार कर बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व में 'बैलून सफारी' की शुरूआत दिसम्बर-2020 में की गई है। इसकी खास बात यह है कि सम्पूर्ण देश के किसी टाईगर रिजर्व के बफर क्षेत्र में होने वाली पहली सफारी है। पर्यटक एरियल व्यू से बाघ, तेंदुआ, भालू और अन्य वन्य-प्राणियों को विचरण करते हुए आनंद की अनुभूति ले सकेंगे। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा 24 नवम्बर 2020 को बांधवगढ़ में आयोजित कैबिनेट बैठक में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए और स्थानीय युवाओं को रोजगार से जोडऩे के निर्णय से महज एक माह की अवधि में ही इस 'बैलून सवारी' का शुभारंभ हुआ। वाइल्ड लाइफ मैनेजमेन्ट के लिए मिले तीन पुरस्कार वन्य-प्राणी संरक्षण में किए गए प्रयासों को मान्यता देते हुए पिछले वर्षों में मध्यप्रदेश के वन्य-प्राणी क्षेत्रों और इस क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों-अभियानों आदि को कई राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। प्रदेश में किए गए सक्रिय वन्य-प्राणी प्रबंधन और श्रेष्ठ वन्य-प्राणी विस्थापन कार्यों के लिए प्रधानमंत्री द्वारा कान्हा टाईगर रिजर्व एवं सतपुड़ा टाईगर रिजर्व को पुरस्कृत किया गया है। हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश-hindusthansamachar.in

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