नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। सुप्रीम कोर्ट ने आज EVM-VVPAT याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस सुनवाई के दौरान, शीर्ष अदालत ने कहा कि वह उन चुनावों को नियंत्रित नहीं कर सकती, जो किसी अन्य संवैधानिक संस्थान द्वारा चल रही हैं। यह फैसला तब आया है जब लोकसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण का मतदान 26 अप्रैल को होने वाला है।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित
सुप्रीम कोर्ट के जज संजीव खन्ना और जज दीपांकर दत्ता की पीठ ने 18 अप्रैल को वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) के साथ EVM का उपयोग करके डाले गए वोटों के क्रॉस-चैकिंग की मांग वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने पहले कहा था कि इस पर स्पष्टीकरण की जरूरत है। कुछ ऐसे पहलू है जिन पर EVM पर 'अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों' (FAQ) में चुनाव आयोग द्वारा दिए गए उत्तर अभी भी साफ नहीं हैं। इस सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट के जज दत्ता ने वकील प्रशांत भूषण से कहा कि चुनावी चिन्ह के साथ छेड़छानी की अबतक कोई घटना सामने नहीं आई है। जस्टिस दत्ता ने आगे कहा, गिने गए 5% VVPAT पर कोई उम्मीदवार दिखा दे की वोट मैच नहीं हुआ है।
VVPAT मामले में सुप्रीम कोर्ट का बयान
सुप्रीम कोर्ट के जज खन्ना ने आश्वासन दिया, “अगर कुछ सुधार करना है, तो हम निश्चित रूप से सुधार कर सकते हैं। अदालतों ने दो बार हस्तक्षेप किया। एक बार जब हमने कहा था कि VVPAT अनिवार्य होना चाहिए। दूसरी बार, जब हम एक से बढ़कर 5 हो गए।'' सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि जब भी शीर्ष अदालत ने मतदान प्रक्रिया में सुधार के लिए सुझाव मांगा, तो प्रस्तुतियां में लिखा था बैलट पेपर को वापस लाएं। अपने बचाव में चुनाव आयोग के अधिकारी ने शीर्ष अदालत को बताया, “सभी तीन इकाइयों CU, BU और VVPAT के पास अपने स्वयं के माइक्रो कंट्रोलर हैं। ये माइक्रो कंट्रोलर इसमें रखे गए हैं। इससे छेड़खानी नहीं की जा सकती।
याचिकाकर्ताओं ने की ये मांग
याचिकाकर्ताओं में से एक NGO 'एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स' ने VVPAT मशीनों पर पारदर्शी ग्लास को अपारदर्शी ग्लास से बदलने के चुनाव पैनल के 2017 के फैसले को उलटने की मांग की। जिसके माध्यम से एक मतदाता केवल तभी पर्ची देख सकता है जब रोशनी 7 सेकंड के लिए हो।
इस मामले में SC ने चुनाव आयोग से पूछे थे सवाल
VVPAT एक स्वतंत्र वोट प्रणाली है जो मतदाताओं को यह देखने में सक्षम बनाती है कि उनका वोट सही उम्मीदवार को डाला गया है या नहीं। इससे पहले आज सुबह, जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की बेंच ने EVM में स्थापित माइक्रो कंट्रोलर के कार्यों, EVM और VVPAT को सुरक्षित करने और मशीनों को बनाए रखने की अधिकतम अवधि के बारे में सवाल पूछे थे।
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