मोदी सरकार ने नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह की सुप्रीम कोर्ट में की तारीफ, जानें कारण

Supreme Court: सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आईडीआरए, 1951 पर अपना विरोध जताया और इसकी कड़ी आलोचना की हैं।
Narasimha Rao and Manmohan Singh
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नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। मोदी सरकार ने 16 अप्रैल 2024 को सुप्रीम कोर्ट में पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव और उनके तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह की तारीफ की है। मोदी सरकार ने पूर्व पीएम नरसिम्हा राव और उनके तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह की यह तारीफ 1991 में 'लाइसेंस राज' को खत्म करने के लिए उस समय की गई आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत के लिए की। उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया था कि उद्योग पर आकस्मिकताओं से निपटने के लिए आदेश का व्यापक नियंत्रण केंद्र सरकार के पास रहे।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा

दरअसल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली नौ-न्यायाधीशों की पीठ को सरकार की तरफ से पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव और उनके तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह की यह तारीफ़ की है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव और उनके तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने आर्थिक सुधार करके कंपनी कानून और एमआरटीपी अधिनियम सहित कई कानूनों को उदार बना दिया है। हालांकि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता इस बात पर भी जोर दिया कि अगले तीन दशकों में बाद की सरकारों ने उद्योग (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1951 में संशोधन करने जरुरत ही नहीं समझी।

इसमें लाइसेंस राज के दिनों की परछाया दिखती है

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आईडीआरए, 1951 पर अपना विरोध जताया और इसकी कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि इसमें लाइसेंस राज के दिनों की परछाया दिखती है। तुषार मेहता ने न्यायाधीशों की पीठ को बताया कि परिवर्तन की बयार आईडीआरए को छू नहीं पाई। जिसके कारण केंद्र सरकार का उद्योगों के पूरे स्पेक्ट्रम पर व्यापक नियंत्रण हो गया। महता ने जानकारी दी कि समय बीतने के बाद, केंद्र सरकार ने उनमे से अधिकांश को रेगुलेट करना ही छोड़ दिया। मेहता ने बताया कि केंद्र सरकार की तरफ से उद्योगों पर नियंत्रण छोड़ने को यह नहीं समझा जा सकता कि उसके पास उन्हें रेगुलेट करने की शक्ति नहीं है।

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