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कराची से शुरू हुआ सफर...राम रथ यात्रा से बढ़ा राजनीतिक कद; जानें पार्टी के सचिव से भारत रत्न तक की कहानी

LK Advani: भाजपा के लिए आज पर्व का दिन है क्योंकि भाजपा के भीष्म पितामाह लाल कृष्ण आडवाणी को जल्द ही भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। PM मोदी ने इस बात की खुशा जताई।

नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता लाल कृष्ण आडवाणी, इन्होंने बीजेपी को बनाने में अपना पूरा जीवन लगा दिया। बात चाहे राजनीति की हो या हिंदू समाज की। राम मंदिर आंदोलन से लाल कृष्ण आडवाणी के राजनीतिक करियर को उचाईं दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि लाल कृष्ण आडवाणी जी को भारत का सबसे उच्च सम्मान "भारत रत्न" से सम्मानित किया जाएगा।

PM ने एक्स पर दी बधाई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि "मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि श्री लालकृष्ण आडवाणी जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। मैंने भी उनसे बात की और इस सम्मान से सम्मानित होने पर उन्हें बधाई दी। हमारे समय के सबसे सम्मानित राजनेताओं में से एक, भारत के विकास में उनका योगदान अविस्मरणीय है। उनका जीवन जमीनी स्तर पर काम करने से शुरू होकर हमारे उप-प्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा करने तक का है। उन्होंने हमारे गृह मंत्री और सूचना एवं प्रसारण मंत्री के रूप में भी अपनी पहचान बनाई। उनके संसदीय हस्तक्षेप हमेशा अनुकरणीय और समृद्ध अंतर्दृष्टि से भरे रहे हैं।"

प्रधानमंत्री बनने का सपना रहा अधूरा

लाल कृष्ण आडवाणी का जन्म 1927 में 8 नवंबर को पाकिस्तान के कराची में हुआ था। सन् 1947 में भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद वह भारत आ गए। उनकी शुरुआती पढ़ाई लाहौर में ही हुई और मुंबई के गर्वनमेंट कॉलेज से लॉ में ग्रेजुएशन किया। उन्होंने 25 फरवरी 1965 को कमला आडवाणी से शादी की। लाल कृष्ण आडवाणी के दो बच्चे हैं प्रतिभा आडवाणी और जयंत आडवाणी।

भारतीय जनता पार्टी को बनाने में उनकी अहम भूमिका रही। वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता भी रहे। उन्हीं की सोमनाथ से लेकर अयोध्या तक राम मंदिर की यात्रा ने लोगों के मन में राम मंदिर बनाने का दीपक जलाया। 2002 से लेकर 2004 तक वे भारत के उप-प्रधानमंत्री रहे। उनका सपना था कि वे एक दिन भारत के प्रधानमंत्री बने लेकिन उनका ये सपना अधूरा ही रह गया। लेकिन उनको इस बात का खेद नहीं हुआ। उन्होंने अपने बल पर राजनीति में कई उच्च पद पर काम किया। जिसका आज भी उल्लेख होता है। वह भाजपा के तीन बार राष्ट्रीय अध्यक्ष बने, राम मंदिर आंदोलन के दौरान वह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। उन्हें भाजपा के भीष्म पितामाह से भी जाना जाता है।

बीजेपी के चिराग आडवाणी

वह भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बेहद करीबी थे। श्यामा प्रसाद मुखर्जी की कश्मीर में संदिग्ध स्तिथि में मृत्यु होने के बाद लाल कृष्ण आडवाणी ने बीजेपी की बागडोर संभाली। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के साथ इनके बहुत अच्छे रिश्ते थे। दोनों की दोस्ती बेमिसाल थी। भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भी उनके मीठे संबंध हैं। कई बार उनको एक साथ देखा भी गया। राम मंदिर आंदोलन के समय लाल कृष्ण आडवाणी के अध्यक्षता की और नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय संयोजक थे। कश्मीर में जब हिंदू कश्मीरियों को मारकर भगाया जा रहा था तब उन्होंने आर्टिकल-370 को हटाने की मांग की थी। मोदी सरकार ने 2019 में आर्टिकल-370 को कश्मीर से हटाकर कश्मीर को आजाद कर दिया।

श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा

इसमें कोई दो राय नहीं कि 22 जनवरी को अयोध्या में हुए श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा का श्रेय उन्हीं को जाता है। उन्हीं के आंदोलन और जीवन भर की मेहनत की वजह से आज रामलला अपने गृभग्रह में पधारे हैं। 22 जनवरी को भारत ने दीवाली जैसा मनाया। यह भारतीयों के लिए एक ऐतिहासिक पल था।

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