नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। हरियाणा में चल रहे राजनीतिक संकट के बीच मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने शुक्रवार को कांग्रेस पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया। JJP के तीन विधायकों ने पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से उनके आवास पर मुलाकात की। नायब सरकार में 3 निर्दलीय विधायकों द्वारा समर्थन वापस लेने के बाद से हरियाणा का राजनीति में उथल-पुथल मची है।
दुष्यंत चौटाला ने की फ्लोर टेस्ट की मांग
हरियाणा के पूर्व डिप्टी सीएम और JJP सुप्रीमो दुष्यंत चौटाला ने भी राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय को पत्र लिखकर नायब सरकार में हलचलों को लेकर फ्लोर टेस्ट की मांग की है। उन्होंने ANI को बताया कि वे हरियाणा में भूपेंद्र हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस के साथ जाएंगे। उन्होंने ये भी कहा कि अगर बीजेपी फ्लोर टेस्ट में पूर्ण बहुमत नहीं हासिल कर पाई तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होना चाहिए।
नायब सरकार के सिर पर मंडरा रहा खतरा
मार्च के महीने में हरियाणा में BJP-JJP गठबंधन में दरार पैदा होने के बाद दोनों दलों के बीच गठबंधन टूट गया। इसके बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री पद से मनोहर लाल खट्टर ने इस्तीफा दे दिया। विधानसभा में हुए फ्लोर टेस्ट में बीजेपी ने निर्दलीयों के साथ मिलकर फिर से सरकार बनाई। 12 मार्च को नायब सिंह सैनी ने मुख्यमंत्री की शपथ ली। अब हुआ यूं कि नायब सिंह सैनी की सरकार का निर्दलीयों ने अचानक साथ छोड़ दिया। लोकसभा चुनाव के बीच राज्य में बीजेपी सरकार के समर्थन दे रहे 3 निर्दलीय विधायकों पुंडरी से रणधीर गोलन, नीलोखेड़ी से धर्मपाल गोंदर, चरखी दादरी से विधायक सोमवीर सांगवान ने अपना समर्थन वापस ले लिया है। इससे बीजेपी को बड़ा झटका लगा है।
क्या है वजह?
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की कुर्सी पर खतरा मंडरा रहा है। लोकसभा चुनाव के बीच हरियाणा में बीजेपी को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। मीडिया रिपोर्टस् के अनुसार, तीनों निर्दलीय विधायकों ने कहा कि वो सरकार की नीतियों से खुश नहीं थे इसलिए बीजेपी सरकार से अपना समर्थन वापस ले रहे हैं।
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